बेटियाँ तुम शक्ति रूपिणी हो

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प्यारी बेटियाँ 

अब जरूरत है कि 

 तुम दुर्गा बनो

तुम तो शक्ति रूपिणी हो 

तुम इंदिरा की संतान हो 

अपनी शक्ति को पहचानो

अपने अस्तित्व के लिये ,

अपने स्वत्व के लिये संघर्ष करो 

भावनाओं में बह कर 

किसी के कंधे का सहारा मत लो 

क्योंकि तुम्हारे चारों तरफ 

नरभक्षी प्यार का नाटक 

करके तुम्हें टुकड़ों में 

काट काट कर 

अपने फ्रिज में रखने को 

तैयार खड़े हैं 

तुम सब इन राक्षसों को पहचानो

ये सब तुम्हारे चारों तरफ 

तुम्हें घेर कर अपनी 

ललचाती निगाहों से 

तुम्हारे आर पार नजरे गड़ाये 

तुम्हें निगलने का

इंतजार कर रहे 

तुम इनके प्यार के 

स्वाँग को पहचानो

इनकी ललचाती निगाहें 

तुम्हारी सैलरी पर होती हैं 

क्योंकि उन्हें तुम्हारे पैसे पर 

ऐश करना है , तुम्हारे जिस्म 

के साथ खेलना है 

ये यूज और थ्रो के खेल में माहिर हैं

तुम काबिल बन कर 

माँ बाप दोनों को बिलखता छोड़ कर 

किसी के कंधे पर सिर रख कर 

उसकी सब कुछ बन कर

उसके  संग रहने लग जाती हो 

 वहाँ वह  तुम्हारे  खुले पंखों को कतरने की 

हर पल कोशिश की जाती है

कभी नशे की आदी बना दी जाती है

तुम शर्म के कारण  सब कुछ सहती हुई

अपने पंखों को फैलाने के लिये तड़पती रह जाती हो 

प्यार के बंधन में बँधी हुई

कई बार लिव इन में रहने लग जाती हो 

वह तुहारा नाजायज फायदा उठाते हैं 

तो फिर टुकड़े करके फ्रिज में भी  रख 

दी जाती हो

अब तो अपनी आँखें खोलो 

अपनी छठी इंद्रिय को जगा 

कर रखो …..

वही तुम्हें बचा सकती है 

किसी के प्यार के  नाटक 

को पहले  जाँचो परखो 

 यह जिंदगी बहुत

मूल्यवान है इसको यूं ही 

मत खतरे में डालो

तुम शक्तिरूपिणी हो 

तुम अपनी शक्ति को पहचानो

पद्मा अग्रवाल

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