महिलायें अपनी खुशी के लिये जीना सीखें

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दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की है। वही। इस सृष्टि की जननी है, फिर भी स्त्री को दोयम् दर्जे का समझा जाता है। पुरुष के साथ बराबरी के हक की मांग  करके भी वह सदा से समाज के द्वारा छली जाती रही है।

आवश्यकता इस बात की हैकि महिलायें स्वयं अपने महत्व को पहचानें । वह अपने आप को कमजोर  कभी न समझें , क्योंकि समाज में जितना अधिकार और महत्व पुरुष का है, उतना ही महत्व महिलाओं का भी है ।

सही अर्थों में देश तभी विकसित तभी बन सकता है, जब उस देश की महिलाओं को बराबरी का अधिकार और सम्मान प्राप्त  हो । बिना महिलाओं के समाज अधूरा  माना जायेगा ।

एक मां के रूप में बच्चे की अच्छी परवरिश करके योग्य नागरिक बनाने का योगदान हो या एक पत्नी का हर मुश्किल परिस्थिति में साथ देकर उसका मनोबल बढाना, या एक बेटी या बहू के रूप में अपने माता-पिता और सास ससुर की  देखभाल करना, इन सभी भूमिकाओं में हमारे देश की महिलाएं  समाज को अपना अमूल्य योगदान देती हैं ।

शिक्षा के प्रसार और समय की मांग के अनुरूप अब अधिकांश महिलायें व्यवसाय या नौकरी करने के लिये घर से बाहर जा रही हैं । परंतु हमारा समाज और परिवार उनसे यही अपेक्षा करता है कि वह परिवार की देखभाल  पहले की तरह ही करें।इसी अपेक्षा के कारण महिलाएं  परेशान और तनावग्रस्त रहने लगती हैं । परंतु यह आवश्यक है कि महिलाएं  अपना ख्याल रखें और अपनी जिम्मेदारियों  को परिवार के सदस्यों के साथ बांटें।

स्वास्थ्य सर्वोपरि है—महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का अवश्य ध्यान रखना चाहिये। अपनी किसी भी तकलीफ को नजरअंदाज न करें। सालाना मेडिकल चेकअप करवायें । अपने ऊपर पैसा खर्च करने में संकोच न करें। आवश्यक जांच करवायें और जरूरत है तो इलाज भी करवायें। क्योंकि यह पुरानी कहावत है कि जी है तो जहान है। स्वास्थ्य के साथ की गई लापरवाही भविष्य में बड़ी समस्या बन सकती है।

आत्मनिर्भर  बनना सीखें—पैसा कमाना ही सब कुछ नहीं है । आत्मनिर्भर  होना भी आवश्यक है। यदि घर में कार है तो,कार चलाना सीखें । यदि स्कूटी है तो वह चलायें , इन कामों से आप आत्मनिर्भर बनेंगीं । और आपका आत्मविश्वास  बढेगा ।

अपनी बचत और आय प्रबंधन की जानकारी रखें–  अपने निवेश और बचत के बारे में  स्वयं पूरी जानकारी रखें। हमेशा इन सब कामों के लिये दूसरों पर निर्भर  न रहें । दूसरों पर विश्वास करके आंख बंद करके रहने पर कभी भी धोखा मिल सकता है।

अपनी इच्छाओं और उपहारों के लिये भी बचत करें—ये आवश्यक नहीं है कि कोई दूसरा व्यक्ति  ही आपको उपहार  दे । आपके पिता ,पति या बच्चे ही आपको उपहार दें, यह आवश्यक  नहीं है । आप स्वयं अपनी पसंद का उपहार  लायें और स्वयं को गिफ्ट देकर प्रसन्न हों ।

 जब आप और पति दोनों ऑफिस में काम करते हैं, घर की जिम्मेदारियाँ भी दोनों लोग बराबर –बराबर बांटें। मां या पत्नी के नाम पर वीकेंड में देर रात तक काम करना बिल्कुल भी सही नहीं है। आखिर  आपको भी तो आराम की जरूरत है।अपने माता-पिता की जिम्मेदारी  बराबरी से उठायें । हमेशा आपका भाई ही उनके सारे काम करे ,ये उचित नहीं है।कभी बीमार बच्चों की देखभाल उसके पापा को भी करने दें । आपका कैरियर भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना पति का है । और दूसरी बात कि बच्चे उसके पापा भी बराबर के जिम्मेदार हैं, इसलिये कोई संकोच करने की जरूरत नहीं है ।यदि घर में दूसरे सदस्य भी   हैं  तो कभी कभी किचेन संभालने का मौका  उन्हें भी दीजिये  क्या हुआ? यदि किचेन का प्लेटफार्म बहुत गंदा है या सिंक बर्तनों से भरा है तो पैनिक न करें । यदि आप थकी हैंतो कुछ समय का ब्रेक लें । आराम करने के बाद फ्रेश होकर काम करें।

दूसरों की मदद करें , भले ही आप उन्हें पसंद नहीं करतीं ,लेकिन आपको नहीं पता क् वह अपने जीवन में कितना संघर्ष कर रहे हैं। आपकी छोटी सी मदद से वह आजीवन आपके प्रति कृतज्ञ बन जायेंगें। उनको खुश देख कर आपको भी आंतरिक खुशी मिलेगी । जरूरत मंद को सशक्त बनाने में उसकी अवश्य सहायता करें । जैसे- आपकी काम वाली , उसे स्वच्छता , शिक्षा , या पैसे की बचत संबंधी आवश्यक बातें समझाइयें ।एक सपोर्ट सिस्टम तैयार करें, इसके लिये अपने माता-पिता या सास-ससुर का सहयोग लेने में संकोच न करें। यह आवश्यक नहीं कि हर परिवार में सास –बहू का ड्रामा ही हो ।

आपके पति से अलग कुछ दोस्त या सहेलियां होना बिल्कुल भी गलत नहीं  है। कुछ समय परिवार  से अलग आप अपने ग्रुप में बितायें और मस्ती करें । आप एकदम ताजा हो उठेंगीं। हर समय दुःखी होना या रोते रहना बिल्कुल भी सही नहीं है । सारी परेशानियों के लिये स्वयं को जिम्मेदार  मान कर हर समय भावुक होना आवश्यक नहीं है । यदि समस्या है तो उसका समाधान भी अवश्य होता है ।

सावधान रहें—कठिन परिस्थितियों को संभालने  के लिये हमेशा तैयार रहें । यदि असफलताएं। हाथ लगती हैं तो निराश होने की बजाय समस्या  के कारण को समझने की कोशिश करें । निराश होकर अपने को मुसीबत की मारी  कभी भी न समझें ।

 बच्चों को स्वावलंबी, जिम्मेदार और स्वास्थ्य के प्रति सचेत बनायें ।

  घर के प्रत्येक  सदस्य को समान रूप से घर के प्रति जवाबदेह और जिम्मेदार  बनायें।

   

पद्मा अग्रवाल
33@gmail.com

   

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