महिलायें और अवसाद

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अवसाद आज एक विश्व्यापी समस्या है . ताजा अध्ययन कहता है कि भारत में पुरुषों की तुलना मैं महिलायें अधिक संख्या में अवसाद  या  डिप्रेशन की शिकार होती हैं यही वजह है कि अक्सर हम महिलाओं की आत्महत्या जैसी खबर सुनते और पढते रहते हैं . ताजा अध्ययन के अनुसार हर 7 लोगों में एक को यह बीमारी पाई जाती है … इसके कई रूप हैं जिन्हें अवसाद , चिंता , सिजोफ्रेनिया और बायोपोलर डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता है . हमारे देश में 3. 9 फीसदी महिलायें एंग्जायटी की शिकार हैं , वहीं पुरुषों को औसत 2.7 फीसदी है.

एम्स के डॉक्टर ओमर अफरोज के अनुसार दुःख , बुरा महसूस करना , दैनिक कार्यों में रुचि  न रखना , हम सब इन बातों से परिचित हैं … परंतु जब यह सारे लक्षण हमारे जीवन में  अधिक दिनों तक बने रहते हैं और हमारे जीवन को प्रभावित करने लगते हैं तो हमारे लिये खतरे की घंटी है और यही अवसाद या डिप्रेशन होता है . WHO के अनुसार पूरे विश्व में अवसाद सबसे सामान्य बीमारी है और पूरी दुनिया में 350 मिलियन लोग अवसाद से प्रभावित होते हैं .

भारत में महिलाओं की जीवन शैली ऐसी है कि उन पर डिप्रेशन का खतरा मंडराता रहता है …हालांकि समय के साथ बदलाव आया है … अब महिलायें अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं , उनमें आत्मविश्वास भी बढा है फिर भी डिप्रेशन का खतरा उनमें अधिक दिखाई पड़ रहा है . मासिक धर्म से जुड़ी बीमारियाँ … मासिक धर्म को लेकर आज भी समाज के बड़े हिस्से में खुल कर बात नहीं होती है परिणामस्वरूप इससे जुड़ी सभी परेशानियों को लड़की या महिला को खुद ही झेलना पड़ता है . यही कारण है कि वह चिंता और डिप्रेशन की शिकार बन जाती है . यह स्थिति उन्हें  शारीरिक के साथ भावनात्मक रूप से कमजोर कर देती है . उनमें चिड़चिड़ापन और थकान महसूस होने लगती है . हमारे देश में महिलायें डिप्रेशन से ग्रसित होती हैं , लेकिन वह कहने या मानने में हिचकिचाती हैं कि उन्हें डिप्रेशन का सामना करना पड़ रहा है , इसी कारण डिप्रेशन अपनी जड़ें जमा का गंभीर रूप धारण कर लेता है . डिप्रेशन बढने के कारण महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव देखने को मिलते हैं ….

डिप्रेशन के लक्षण ,..

1…पीरियड्स का अनियमित होना ….अधिक तनाव और डिप्रेशन की वजह से महिलाओं को पीरियड्स की अनियमितता की शिकायत हो सकती है .किन्हीं परिस्थितियों में डिप्रेशन के कारण महिलाओं में मेनोपॉज जल्दी हो जाता है , जिसके कारण उनके शरीर में कई बदलाव दिखाई पड़ने लगते हैं .

कार्यों में अरुचि …. महिलाओं में हर चीज के प्रति अरुचि होने लगती है . ऐसा भी देखा गया है कि अपनी दिनचर्या या आसपास के लोगों से बातचीत करना भी बंद कर देती हैं .

हम लोगों में यह कमी है कि इन बातों पर ध्यान ही नहीं देते जिसकी वजह से डिप्रेशन की स्थिति ज्यादा बढने लगती है .

डायट का अनियंत्रित हो जाना ….महिलाओं में डिप्रेशन के कारण खान पान अनियंत्रित हो जाता है … कुछ महिलायें तो डिप्रेशन के कारण ओवर ईटिंग करने लगती हैं , वहीं कुछ महिलायें डिप्रेशन में आकर खाना पीना छोड़ देती हैं . दोनों ही परिस्थिति स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक होती हैं .

3 … नींद …. डिप्रेशन का हमारी नींद से गहरा संबंध होता है . महिलाओं में डिप्रेशन के दो तरह का प्रभाव देखने को मिलता है . डिप्रेशन से पीड़ित महिलाओं को या तो बहुत नींद आती है या फिर बिल्कुल भी नींद नहीं आती है . अगर आप ऐसी किसी समस्या से पीड़ित हैं तो समझ लीजिये कि आप डिप्रेशन से जूझ रहीं हैं .

4….थकान लगना ….. महिलायें अपने घर और बाहर के कामों में काफी व्यस्त रहती हैं . ज्यादा काम के बावजूद भी उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है परंतु यदि थोड़े थोड़े काम करने के बाद ही परेशान हो रही हैं तो समझ लें  कि  डिप्रेशन की शिकार बनने जा रही हैं . हर समय छोटे छोटे काम करके थकान महसूस करना डिप्रेशन का गंभीर लक्षण हो सकता है .

5……आत्मविश्वास की कमी होना …. डिप्रेशन की शिकार महिलायें हर समय अपनी आलोचना करती रहती हैं , वह स्वयं  को ही  हर समय  बुरा भला कह कर कोसती रहती हैं . वह बीते दिनों में ही जीती रहती हैं और अपने लिये कोई हमदर्द तलाशती रहती हैं जिसके साथ वह अपना दुःख  शेयर कर सकें .

6…..किसी भी चीज पर फोकस करने से डरना …डिप्रेशन की शिकार महिलाओं को किसी भी काम पर फोकस करने में डर लगता है कि यह काम पता नहीं पूरा होगा या नहीं …इस चिंता के कारण वह काम पर फोकस नहीं कर पातीं .

7…. स्वयं को किसी लायक नहीं समझना …..डिप्रेशन के कारण महिलाओं में निराशा का भाव हावी हो जाता है , वह हर काम करने  में अपने को अयोग्य समझने लगती हैं , वह सोचतीं हैं कि  उन्हें कोई पूछता नहीं है … वह किसी काम को करने के लायक ही नहीं हैं .

8….चिड़चिड़ापन महसूस करना ….यदि महिला बात बात पर चिड़चिड़ी होती रहती है तो ध्यान देनें की आवश्यकता है कि संभव है कि महिला डिप्रेशन से जूझ रही हो … इस समय उसे आपके साथ की जरूरत है , उनकी बातों को समझने की जरूरत है ताकि उनके मन के अंदर की गांठ खुल सके और वह डिप्रेशन से बाहर आ सकें .

9…अच्छी उम्मीदें खो देना ….वर्तमान और भविष्य में कुछ अच्छा होने की उम्मीद खो दिना भी डिप्रेशन का एक लक्षण है . इस परिस्थिति में महिलाओं को पॉजिटिव विचारों की जरूरत होती है . ऐसे में आप उन्हें अच्छा साहित्य पढने को दें या अच्छे विचारों के द्वारा उनकी नकारात्मकता को  दूर करने की कोशिश करें .

सेक्स में अरुचि …. डिप्रेशन की शिकार महिलायें अपने पार्टनर के साथ भी खुश नहीं रह पाती हैं . इस दौरान सेक्स के प्रति रुचि खत्म हो जाने के कारण सेक्स से जुडी परेशानी भी हो सकती है .

10…..डायजेस्टिव डिसऑर्डर और क्रॉनिक पेन की समस्या ,..डिप्रेशन से जूझ रही महिलाओं में पाचन और क्रॉनिकपेन से जुड़ी परेशानी हो सकती है . थोड़ा सा खाने के बाद पेट में दर्द , गैस की परेशानी , सिरदर्द बना रहना जैसे लक्षण दिख सकते हैं । ससी परिस्थिति में आवश्यक है कि आप किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास जायें और उनकी सलाह के अनुसार इलाज करायें

             डिप्रेशन से जूझ रही महिलाओं में इस तरह के लक्षण  देखे जा सकते हैं …. यदि आपके परिवार या आसपास किसी महिला में इस तरह के परिवर्तन नजर यें तो उन्हें किसी अच्छे डॉक्टर को दिखायें ,उनका साथ दें , उनकी समस्या को समझें ताकि वह डिप्रेशन  से बाहर आ सकें .

   आजकल एकल परिवारों का प्रचलन है …. अवसादग्रस्त व्यक्ति खुद को अकेला कर लेता है , दूसरी तरफ आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में दूसरों से उम्मीद करना कि वह आपकी अवसाद से बाहर आने में मदद करेंगें तो आपका सोचना गलत है लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्यों कि जहाँ चाह है वहाँ राह भी निश्चय ही निकल आती है  … आप स्वयं ही अपनी दम पर अपने डिप्रेशन से बाहर आ सकती हैं …..

1….. आपको मेडीटेशन करना चाहिये …. इसका अभ्यास करने से दिमाग से नकारात्मक विचार निकल जाते हैं . अध्यात्म के सहारे आप खुद को अकेला नहीं समझते और धीरे धीरे उससे उबरने लगते हैं .

2….प्रकृति और पेड़पौधे से प्यार करना दिमागी शांति के लिये बहुत लाभदायक है . यदि गार्डनिंग कर सकते हैं तो गार्डनिंग करें … धीरे धीरे प्रकृति के संग आपके जुड़ाव से आपके मन के  नकारात्मक विचारों से आपको मुक्ति मिल सकती है .

3…..एक्सरसाइज करने से हमारे दिमाग में हैप्पी हॉर्मोन्स का उत्पादन बढ जाता है , जो आपके मूड को खुशनुमा बनाने में मदद करते हैं और आप डिप्रेशन से बाहर आ जाते हैं .

4…..म्यूजिक सुनना भी डिप्रेशन  को कम करने में मददगार होता है . म्यूजिक तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है . म्यूजिक सुनने से आपका मूड बेहतर हो सकता है … म्यूजिक के साथ आप मेडीटेशन भी कर सकते हैं … बस ध्यान रखें हैप्पी और प्यारा संगीत सुनें , दर्द या गम वाला म्यूजिक नहीं ….

5….कई शोध यह बताते हैं कि जो लोग पालतू जानवर अपने पास रखते हैं , वह मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत होते हैं . पालतू जानवर आपका अकेलापन दूर करने में बहुत सहायक होते हैं क्यों कि पालतू जानवर आपको बिना शर्त प्यार देता है .

6…हमारे  यहां एक कहावत है कि ‘खाली दिमाग शैतान का  ‘ इसलिये आप अपने को अपने मनपसंद काम में व्यस्त रखने  की आदत डालें …जैसे पेंटिंग , निटिंग , कुकिंग , पढना लिखना , डायरी लिखना आदि ..खुद को बुरी तरह थका डालिये … जिससे बेड पर लेटते ही नींद आ जाये

7….अपनी उपलब्धियों  को याद कीजिये , जब आपने कुछ खास हासिल किया था … बचपन के वह शरारती पल , जब आप ठहाके लगा कर हंसॆ थे … स्कूल में जब अच्छे अंक आने पर आपको प्रिंसिपल ने प्रेयर में सबके सामने शाबाशी दी थी .

8… एक ऐसा पॉजिटिव दोस्त तलाशें , जो आपकी समस्या के प्रति सहानुभूति रखता हो , पति , माँ या बहन – भाई भी हो  सकता है , जिसके साथ खुलकर अपनी बात बता सकते हों यदि वह   आपको सचमुच में प्यार करते हैं तो आपको डिप्रेशन से बाहर निकालने में जरूर मददगार बनेंगें  .

9… एवर ग्रीन कॉमेडी फिल्म या सिरीज देखें … भूलने की कोशिश करें कि जीवन में आप किन उलझनो से गुजर रहे हैं .

10 …. खुद को पार्टी दें ….हमेशा अपना मनपसंद खाना ऑर्डर करें  . जो काम अच्छा लगता हो वही करें .

     ये बिल्कुल सच है कि डिप्रेशन से उबरना आसान नहीं है . संभव है कि आप अपने जीवन के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहें हों लेकिन यकीन रखिये आपका प्रयास व्यर्थ नहीं जायेगा और आप इस कठिन समय से बाहर निकल कर अवश्य आयेंगें … जरूरत है आपके हौसले और हिम्मत की जो आप के अंदर हमेशा  से है , बस उसे पहचानिये और निश्चय ही डिप्रेशन आपसे दूर भाग जायेगा .

लेकिन यदि अभी भी डिप्रेशन आप पर हावी है तो किसी योग्य मानसिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें और डिप्रेशन को हल्के से न लें .

पद्मा अग्रवाल

Padmaagrawal33@gmail. Com

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