श्रीमती छाया मुकर्जी, उनकी स्टाइलिश साड़ी , जूड़े में लगा गुलाब , वह इग्लिश टीचर थीं . मैं 9 th में थी …पढाई से जी चुराने वाली , टेस्ट वाले दिन जानबूझ कर घर बैठ जाती . उन्होंने मुझे अपने कमरे में बुलाया , मैं डरी सहमी सी उनके पास पहुँची तो मेरी कॉपी पलटते हुय़े बोलीं , तुम्हारी हैंडराइटिंग बहुत साफ और सुंदर है होमवर्क, क्लास वर्क भी ठीक ठीक है तो टेस्ट से क्यों डरती हो ? मेरी सिर झुक गया था … कल टेस्ट है जरूर आना , जीवन में आगे बढना तो मेहनत करना ही होगा …. मुझसे जब ब्लैक बोर्ड पर pronoun की परिभाषा लिखने को कहा तो पूरा क्लास हो हो कर हँसने लगा था…. जब मैंने लिख दिया तो उनके एक वाक्य ने ‘शी इज ब्रिलियेंट स्टूडेंट ‘मेरे जीवन को आत्मविश्वास से लबालब भर दिया था .
उनको मेरा नमन्
पद्मा अग्रवाल