Home Dil se स्त्री
Dil se

स्त्री

Share
Share

 वो तुम न थे वो तुम्हारा गुरुर था 

जिसने मुझे एहसास दिलाया

कि मैं एक स्त्री हूँ और तुम्हारे 

मुकाबले मेरा अपना कोई वजूद नही

मेरी खुशी मेरा स्वाभिमान सब बेमानी

तुम्हारे झूठे अहंकार के चलते

मुझे कब क्या बोलना है क्या नही

ये कभी समझ ही नही पाई

धीरे धीरे तुम्हारी खुशी की खातिर

खुद में खुद को समेटती चली गयी

और खत्म कर दी सब ख्वाहिशें

अब ये जो मैं तुम्हारे पास हूँ न 

क्या हूँ क्यूँ हूँ और कैसी हूँ

तुम्हारे पास होकर भी तुम्हारी नही हूँ

उषा चित्रांगद

            

Share
Related Articles
Dil se

पति पत्नी के रिश्ते में मजबूती लाने के लिये प्रयास आवश्यक हैं

शादी सात जन्मों  का बंधन  है … जोड़ियाँ ऊपर से बन कर...

Dil se

बोन मैरो

“माँ मैं नर्वस फील कर कही हूँ , इतने बड़े स्टेज पर...

Dil se

पहलगाम आतंकी हमला

पहलगाम आतंकी हमला कई प्रश्न खड़े करता है … आतंक का नया...

Dil se

चैत्र नवरात्रि

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना...

Dil se

 गूंज

शिशिर , यहां आओ … देखो आज का दिन कितना सुंदर है...

Ajanta Hospital TEX