जैसे बागों में बहारों का आ जाना
कर्णप्रिय संगीत का गुंजायमान होना
जैसे आँगन में चिड़ियों का चहचहाना
चारो तरफ नजारों का खिल जाना
कोयल की कुहुक से अम्बर का गूंजना
ढलते सूरज से गगन का सिंदूरी हो जाना
शामों में तितली के रंगों का उतारना
बरसात के मौसम की रिमझिम फुहार
वो तुम्हारा अपने हाथों की उंगलियों का
मेरे हाथों की उंगलियों में उलझा लेना
तेरे कांधे पर मेरा सर रखकर बातें करना
और भीगते हुए लंबी सड़क पर चलना
बस एक ही तमन्ना दिल में रखना
कि जिंदगी भर तुम्हारे पहलू में रहना
ऊषा चित्रांगद