यह भारत की नारी, मर्यादा नहीं तोड़ेगी।
संस्कारों और मर्यादा के घेरे में पड़ी यह जिम्मेदारियां नहीं छोड़ेगी।
मां की इज्जत और बाप की पगड़ी के खातिर खून के आंसू रो लेगी पर मर्यादा नहीं तोड़ेगी।
फूलों से नाजुक यह बेटी ,कांटो से दामन भर लेगी पर मर्यादा नहीं तोड़ेगी।
अपने बनाए रेत के सपनों को ,खुद ही पानी से बहा देगी पर मर्यादा नहीं तोड़ेगी।
मां सीता हो या रानी झांसी, हर किरदार को बखूबी से निभा लेगी पर मर्यादा नहीं तोड़ेगी।
बाहर की नौकरी घर का काम यह हंसते-हंसते कर लेगी, अपने आंसुओं को छुपा झूठी मुस्कान भी भर लेगी, पर मर्यादा नहीं तोड़ेगी।
सभी ऊंचाइयों की सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते यह गगन को भी छू लेगी पर मर्यादा नहीं तोड़ेगी।
~Komal Narula