20 वर्षीय सुमित्रा जो नीराजी के यहाँ मेड नहीं उनकी बेटी की तरह रह रही थी . वह कल रात में उससे बात करती हुई अच्छी भली सोईं थी लेकिन वह रात उनके जीवन की अंतिम रात हो गई थी . उन्हें इस हालत में देख वह घबरा उठी थी और वह फूट फूट कर रो पड़ी . उसकी आँखों से निरंतर अश्रुधारा प्रवाहित हो रही थे. उन्होंने उसे हमेशा अपनी बेटी की तरह प्यार से रखा था . वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या हो गया ….
वह सोच रही थी कि अब वह बेसहारा हो गई है . उसके सिर के ऊपर से छत छिन गई थी. उसकी पालनहार आज दुनियासे विदा हो गईं थीं , कई बार उसने खुद उन्हें अपने बेटों से कहते हुए सुना था कि तुम दोनों तो मेरे बेटे हो ही लेकिन मेरी एक बेटी भी है , जो रात दिन मेरी सेवा में लगी रहती है .
आज अचानक ही अपनी आँखें मूँद कर चिरनिद्रा में लीन हो गईं थीं .
वह घर में बिल्कुल अकेली थी और जब नीरा आंटी ने सुबह से आँखें ही नहीं खोलीं थीं . उनको बेसुध देख कर उसे ऐसा लगा कि जैसे सब कुछ थम सा गया है . उसने पड़ोस में रहने वाले रमेश अंकल को फोन किया तो वह तुरंत भागते हुए आ गये थे फिर तो उसे जल्द ही समझ में आ गया कि सब कुछ समाप्त हो चुका है .
उनका पार्थिव शरीर 2 दिनों तक मोर्चुरी में में रखा रहा था . उनके दोनो बेटे अमेरिका में थे , इसलिये उन लोगों को आने में दो दिन लग गये थे . वह उनकी याद करके लगातार रोती बिलखती रही थी .
20 साल की सुमित्रा की अम्मा नीरा आंटी के यहाँ बरसों से बर्तन और झाडू का काम किया करतीं थीं . वह स्कूल में पढती थी . अम्मा चाहतीं थीं कि वह पढ लिख कर मास्टरनी बन जाये .उसने बी.ए. में एडमिशन ही लिया था तभी आंटी को टायफॉयड हो गया था ,तो उन्हें दिन भर की देख भाल के लिये किसी की जरूरत थी इसलिये अम्मा ने उसे ही चार -छः दिनों के लिये उनके घर पर रख दिया था बस आंटी को अपने अकेलेपन को दूर करने के लिये, वह इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने अम्मा से कह कर उसे अपने घर में ही रख लिया था . और साथ में उसकी पढाई का भी पूरा जिम्मा भी ले लिया. वह उसे बहुत प्यार से रखतीं थीं .
एक साल भी नहीं बीता था , कोविड ने सब कुछ तहस नहस कर दिया . आंटी को भी कोरोना हुआ था लेकिन उसने अपनी परवाह नहीं की थी और दिन रात एक कर दिया था उन्हीं दिनों उसकी अम्मा कोरोना की महामारी में इस दुनिया से उसको आंटी के हवाले करके सदा के लिये चैन की नींद सो गईं थीं. वह तो अम्मा का मुँह भी नहीं देख पाई थी बस रोती बिलखती रही थी . उस समय आँटी ने प्यार से समझाते हुये कहा कि एक मां गई तो अब तुम मुझे अपनी माँ की तरह समझो. और फिर उन्होंने सचमुच उस पर माँ का लाड प्यार लुटाया था . वह अनाथ हो गई थी , अब तो उसके लिये नीरा आंटी ही उसकी सब कुछ थीं .
दोनों भइया और भाभी आईं तो वह उन्हें देख कर वह फफक कर रो पड़ीं थीं .वह अपना दर्द आखिर किससे बाँटे? वह देख रही थी कि अर्जुन भइया रहते तो अमेरिका में थे, परंतु अपनी मां की अंतिम क्रिया पूरे विधि विधान से कर रहे थे उसे यह सब देख कर आश्चर्य भी हुआ था , जब उस दिन बड़े भइया अपने बाल कटा कर धोती पहन कर घर आये थे । वह तो बिल्कुल चौंक पड़ी थी . यह सब उसके लिये अनूठा सा था .
आज हवन और उसके बाद ब्राह्मण भोज में तो भइया लोगों ने कोई कसर ही नहीं छोड़ी थी । वह तो पंडितों को देने वाला सामान ही देखती रह गई थी . अर्जुन भइया पंडित जी के लिये एक से एक कीमती सामान लेकर आये थे . जब उन्होंने पंडित जी को विदाई में सोने की अँगूठी दी तो सहसा वह विश्वास भी नहीं कर पा रही थी .घर मेहमानों से भरा हुआ था वह फिरकी की तरह पूरे दिन भाग दौड़ करती रहती थी . लेकिन रह रह कर उसकी आँखें बरस पड़तीं थीं .
आज शकुन बुआ आईं तो पहले तो जोर जोर से रोने का नाटक करतीं रहीं फिर उसकी ओर घूर घूरकर आयुष भइया से फुसफुसा कर कह रहीं थीं , “नीरा तो बहुत सीधी थी , य़े लड़की बहुत चालाक लगती है, जाते समय इसकी तलाशी ले लेना इसने अकेले में जाने क्या क्या चुरा लिया होगा .”
उस समय वह किचेन में सफाई कर रही थी , सुनकर वह वह फफक कर रो पड़ी थी तभी सोमा भाभी इधर आ गईं और उसको रोते देख भाभी ने उसे प्यार से अपने गले से लगा लिया था .
“ सुमित्रा तुम बुआ जी की बात का बुरा न मानो . हम लोग उनके सामने इसलिये चुप हैं क्यों कि वह बडी हैं इनसे कुछ कहने का कोई फायदा नहीं है . वह तो शाम को चली जायेंगी फिर हम लोग बैठ कर सोचेंगें कि अब आगे क्या करना है .”
सुमित्रा की आँखों से नींद उड़ी हुई थी .वह अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित और परेशान थी .
अम्मा ने तो उसकी शादी के लिये रुपये भी आंटी के पास जमाकर रखे थे अब भइया भाभी को वह ये बातें वह किस मुँह से बताये. फिर वह अकेली लड़की अपना सिर छिपाने के लिये कहाँ जायेगी . आखिर में उसने निश्चय कर लिया था कि वह अपना सामान समेट कर पहले जहाँ अम्मा रहतीं थी वहाँ जाकर कुछ दिनों तक श्यामा मौसी के घऱ पर रह लेगी फिर सोचेगी, कुछ ट्यूशन और बढा लेगी. वह सुबह का इंतजार करने लगी. सब मेहमान जा चुके थे घर में सन्नाटा छाया हुआ था .
सुबह जब वह उठ कर कमरे से बाहर आने के लिये सोच ही रही थी कि सोमा भाभी उसके कमरे में आईं.
“ सुमित्रा आज चाय नहीं पिलाओगी क्या ,?
“जी भाभी बनाती हूँ . “ वह आँसू पोछते हुए बोली थी .
“ तुम अपने लिये भी चाय साथ में ही बना लेना “. भाभी ने टोस्ट पर मक्खन लगाया और बोलीं ,”चलो आज सब लोग साथ में बैठ कर चाय पियेंगें . “
वह शर्माई सकुचाई सी सबके साथ बैठी हुई थी तभी भाभी बोलीं, “ सुमित्रा आज अपने भइया को अपने हाथ की कढी जरूर से खिला देना , कल कह रहे थे कि बस एक दिन ही तो बचा है , आज कढी चावल बनवाना . सुमित्रा बिल्कुल अम्मा के स्वाद का खाना बनाती है . “
अर्जुन भइया बोले ,“सुमित्रा तुम्हारी अम्मा तो अब रही नहीं , तुम अब कहाँ जाओगी?”
“ अम्मा ने बताया था कि तुम यहाँ पर बच्चों को पढाती भी हो .”
वह खुश होकर बोली कि आंटी कहा करतीं थीं “सुमित्रा अपने पैरों पर खडीं होने की कोशिश करो .”
आंटी को याद कर उसकी आँखें भीग उठीं , “भाभी आप लोग फिक्र न करें , उस दिन श्यामा मौसी कह कर गईं हैं , बिटिया अब तुम मेरे पास रह लेना.”
“कौन,? वह श्यामा जो उस दिन आई थी, वह तो कह रही थी कि सुमित्रा के साथ अपने भाई की ऱिश्ता करवा देंगें . “
“नहीं भाभी उनका भाई 40 साल का अवारा और बदमाश महापियक्कड़ आदमी है. “
“आपने अच्छा किया कि मुझे बता दिया अब मैं उनके पास रहने के लिये कभी नहीं जाऊंगीं . “
सब लोग एक साथ बैठ कर चाय पीते हैं और कल निकलने की तैयारी के बारे में बातें करते हैं.
तभी अर्जुन भइया बोले.” सुमित्रा तुम मम्मी के पास कितने सालों से रह रही हो ?”
“जी भइया तीन साल हो चुके हैं . इस साल मेरा एम. ए. का आखिरी साल है . आंटी जी ने कई स्कूलों में मेरा फॉर्म भरवाया है . वह कह रहीं थीं कि तुम्हारा बी. एड . हो जायगा तो तुम्हें अच्छी नौकरी मिल जायेगी .और तुम्हारी अम्मा की आत्मा को शांति मिल जायेगी .”
“बी. एड . की तो फीस बहुत हुआ करती है .”
“अब एम. ए. की तो परीक्षा होने वाली है . फिर भइया किसी छोटे स्कूल मे या कहीं मॉल में कुछ दिनों तक नौकरी कर लूँगीं , थोड़ा पैसा इकट्ठा हो जायेगा तब बी. एड. कर लूँगीं .”
उसने दोपहर में लंच बनाया ,सब साथ में बैठे तो बडे भइया ने कहा रोटी सेक लो आज सब लोग साथ में खाना खायेंगें . सोमा भाभी साथ में काम करवा रहीं थीं . सुमित्रा डायनिंग टेबिल पर बैठी तो एक बार फिर से आंटी की याद करके उसकी आँखें भर आईं थीं .
“सुमित्रा कल हम लोगों की फ्लाइट है , तुम जैसे पहले रहतीं थीं वैसे रहती रहोगी .”
“ सच कहूँ तो यह घर तुम्हारे लिये नववर्ष का उपहार है . अब ये घर तुम्हारा है ,”
“हाँ यदि इंडिया हम लोग आये तो तुमसे मिलने जरूर आयेंगें और तुम परमिशन दोगी तो तुम्हारे मेहमान बन कर रहेंगें . ये तुम्हारी पास बुक है जिसमें मम्मी ने तुम्हारी बी.एड. की फीस के लिये जमा कर रखी है . “
भइया ये घर आज और कल हमेशा आपका है और हमेशा रहेगा .
सुमित्रा विस्फरित नेत्रों से उन लोगों को देख रही थी कि क्या यह सच में यह नववर्ष उसके लिये इतनी सारी खुशियाँ लेकर आया है .
वह सोमा भाभी के गले लग कर सिसक पड़ी . भाभी आप लोग तो मेरे लिये भगवान से भी बढ कर हो . वह भइया भाभी के पैरों की तरफ बढी तो उन लोगों ने उसे अपने सीने से लगा लिया .