ललिता अपनी बॉलकनी पर खड़ी हुई थी तभी उनकी निगाह अपने घर के सामने रहने वाली धरा के कमरे में पड़ गई थी . आज रोज डे पर शिशिर अपनी पत्नी धरा को रोज का बुके देकर आलिंगनबद्ध करते देख कर वह स्वयं भी अपने प्रियतम से रोज के बुके लेकर उनकी बाहों में लिपटने की कल्पना करती हुई शर्मा गईं और वहाँ से हट कर अपने कमरे में आ गईं .
उनको अपने पति गौतम पर बहुत गुस्सा आ रही थी . इतनी रोमांटिक कविताये मंच से सुनाया करते हैं और कहानियाँ लिखते हैं लेकिन उनके लिये आज तक एक बार भी गुलाब कौन कहे गेंदे की फूल भी नहीं लेकर आये हैं . धरा को जब से उन्होंने हाथ में बुके पकड़ कर आलिंगनबद् देखा था , उनकी दिल की धडकनें बढ गईं थीं .

वह मन ही मन सोच बैठी थी कि आज यदि गौतम गुलाब लेकर नहीं आये तो बस किचेन में ताला डाल दूँगीं . क्या समझ रखा है …. वह दिन भर सोचती रही थी कि गौतम बड़ा सा रोज का बुके लेकर आये हैं और प्यार से उन्हें अपनी बाहों के घेरे में लिपटा लिया है …. वह सज धज कर गौतम के साथ डिनर पर जा रही हैं .
ललिता अपनी बॉलकनी पर खड़ी हुई थी तभी उनकी निगाह अपने घर के सामने रहने वाली धरा के कमरे में पड़ गई थी . आज रोज डे पर शिशिर अपनी पत्नी धरा को रोज का बुके देकर आलिंगनबद्ध करते देख कर वह स्वयं भी अपने प्रियतम से रोज के बुके लेकर उनकी बाहों में लिपटने की कल्पना करती हुई शर्मा गईं और वहाँ से हट कर अपने कमरे में आ गईं .
उनको अपने पति गौतम पर बहुत गुस्सा आ रही थी . इतनी रोमांटिक कविताये मंच से सुनाया करते हैं और कहानियाँ लिखते हैं लेकिन उनके लिये आज तक एक बार भी गुलाब कौन कहे गेंदे की फूल भी नहीं लेकर आये हैं . धरा को जब से उन्होंने हाथ में बुके पकड़ कर आलिंगनबद् देखा था , उनकी दिल की धडकनें बढ गईं थीं .
वह मन ही मन सोच बैठी थी कि आज यदि गौतम गुलाब लेकर नहीं आये तो बस किचेन में ताला डाल दूँगीं . क्या समझ रखा है …. वह दिन भर सोचती रही थी कि गौतम बड़ा सा रोज का बुके लेकर आये हैं और प्यार से उन्हें अपनी बाहों के घेरे में लिपटा लिया है …. वह सज धज कर गौतम के साथ डिनर पर जा रही हैं .

पद्मा अग्रवाल