‘आज बिरज में होरी रे रसिया ‘ गले में ढोलक लटकाये हुये गुलाटी जी गुलाल उड़ाते हुये होली के खुमार में पूरी तरह डूबे हुये रमन को आवाज दे रहे थे । वह तो पहले से ही प्लेट में गुलाल और गुझिया सजा कर तैयार बैठे थे । बस शुरू हो गया ‘रंग बरसे भीगे चुनरवाली ….’ कालोनी में होली पर नाच गाना और मस्ती जम कर होती है ….
आज होली और रंगोत्सव के अवसर पर मधुरिमा जी किचेन में कचौड़ी दमालू , दही बड़े आदि बनाने में बिजी थीं लेकिन उनका ध्यान बार बार सामने की बालकनी से आती आवाजों पर चला जाता था । थोड़ी देर पहले ही उनकी बेटी भव्या को उसकी सहेली नीति बुला कर ले गई थी । वह चाहते हुये भी मना नहीं कर पाईं थीं … नीति की मौसी का बेटा श्रेयस आया हुआ है और अब रंग गुलाल के साथ दोनों की छेड़छाड़ और हंसी , दोनों की खिलखिलाहट की आवाजें उनके कानों में बार बार गूंज ऱहीं थीं ।
भव्या और नीति दिल्ली के एक ही कॉलेज में एम बी ए कर रहीं थीं , दोनों बचपन से साथ साथ पढी हैं और आपस में पटती भी बहुत है । श्रेयस हमेशा से गर्मी की छुट्टियों में आता रहा है और सब साथ में कैरम , लूडो ,कार्ड्स , बैडमिंटन और यहां तक कि क्रिकेट भी खेल कर बड़े हुये हैं । इस बार वह कई सालों के बाद आया है और अब सब किशोर हो चुके हैं । वह कई दिनों से देख रहीं थी कि भव्या श्रेयस के साथ घंटों तक बैठ कर हंसी मजाक और बात करते हुये हंसते खिलखिलाती और ठहाके लगाती रहती हैं ।
‘चल न आइसक्रीम खाने चलते हैं ‘
‘आज मेरा खाना मत बनाना मम्मा हम लोग डोसा खाने जा रहे हैं ‘…. कहती हुई वह फुर्र से उड़ जाती …कभी नीति साथ में होती तो कभी ये दोनों अकेले ही सिविललाइन तक घूमने निकल जाते ….
आज तो होली का त्यौहार है…. क्या भव्या श्रेयस से प्यार करने लगी है …वैसे तो श्रेयस बहुत जाना समझा अच्छा लड़का है…. परिवार भी अच्छा है लेकिन इसकी मां तो बहुत नकचढी है …. वह मन ही मन सोच रही थी …मेरी भव्या भी तो लाखों में एक है ….वह मन ही मन में सोच रही थीं ….श्रेयस 6 फुट का लंबा गोरा चिट्टा सजीला आईटियन इंजीनियर लड़के का ख्वाब तो हर लड़की की मां अपनी बेटी के लिये देखती है …. तभी उनके कानों में भव्या के जोर जोर से हंसने की आवाज आई थी साथ में श्रेयस की भी … भव्या की बच्ची , अब मैं तुझे छोड़ूंगा नहीं …. अभी मजा चखाता हूं …
उनका दिल धक से हो गया था …. कहीं इतिहास अपने को तो नहीं दोहरा रहा है … उनकी आंखों के समक्ष उनका अपना अतीत चलचित्र की भांति सजीव हो उठा …. ऐसा ही होली का अवसर था … जब उनकी मुलाकात नीरव से हुई थी … नीरव उसकी सहेली रिया की बुआ का बेटा था और ऐसा ही गठीला, सजीला सांवला सा … साथ में हंसमुख , बात बात पर फुलझड़ी सी छोड़ने वाला …बस वह पहली नजर में ही वह उसे अपना दिल दे बैठीं थीं और प्यार एक तरफा भी नहीं था … वह भी उन्हें उतना ही पसंद करता था ….बस शुरू हो गया था दो प्यार के परवानों की प्यार की चाशनी में डूबी लंबी लंबी बातें और मुलाकातें ….भला हो मोबाइल का … वह एम . ए फाइनल में थी और नीरव तो बैंक में प्रोवेशनरी ऑफिसर …. सब कुछ वेल सेटिल्ड …. कहीं कुछ भी गलत नहीं था ….
प्यार भरी नजरें भला कभी छिप पाती हैं … नीरव उनसे मिलने जल्दी जल्दी आने लगे तो रिया की मां को शक हुआ कि इन दोनों के बीच में कोई चक्कर तो नहीं चल रहा है ….
उनका दिल धक से हो गया था …. कहीं इतिहास अपने को तो नहीं दोहरा रहा है … उनकी आंखों के समक्ष उनका अपना अतीत चलचित्र की भांति सजीव हो उठा …. ऐसा ही होली का अवसर था … जब उनकी मुलाकात नीरव से हुई थी … नीरव उसकी सहेली रिया की बुआ का बेटा था और ऐसा ही गठीला, सजीला सांवला सा … साथ में हंसमुख , बात बात पर फुलझड़ी सी छोड़ने वाला …बस वह पहली नजर में ही वह उसे अपना दिल दे बैठीं थीं और प्यार एक तरफा भी नहीं था … वह भी उन्हें उतना ही पसंद करता था ….बस शुरू हो गया था दो प्यार के परवानों की प्यार की चाशनी में डूबी लंबी लंबी बातें और मुलाकातें ….भला हो मोबाइल का … वह एम . ए फाइनल में थी और नीरव तो बैंक में प्रोवेशनरी ऑफिसर …. सब कुछ वेल सेटिल्ड …. कहीं कुछ भी गलत नहीं था ….
प्यार भरी नजरें भला कभी छिप पाती हैं … नीरव उनसे मिलने जल्दी जल्दी आने लगे तो रिया की मां को शक हुआ कि इन दोनों के बीच में कोई चक्कर तो नहीं चल रहा है ….

Shared by : पद्मा अग्रवाल
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