Home Dil se प्यार का एहसास
Dil se

प्यार का एहसास

Share
Share

मैं कानपुर से धवल शर्मा …. कॉलेज का इंट्रो चल रहा था …. सांवला सलोना , 6 फीट लंबा हृष्ट पुष्ट चेहरे पर बड़ी बड़ी आंखें , चित्ताकर्षक व्यक्तित्व … परंतु धवल नाम सुनते ही हॉल लोगों की हंसी से गूंज उठा था … लेकिन जब उसने मधुर स्वर में अपना गीत गाना  शुरू किया तो पूरा हॉल मंत्रमुग्ध हो उठा था … विधि आगे की पंक्ति में बैठी थी , वह गीत समाप्त होने पर लगातार तालियां बजाती रह गई थी …. दोनों की निगाहें एक दूसरे से मिली और फिर उन्हें ऐसा लगा कि मानों दोनों एक दूसरे के लिये ही बने हों …. बस वह पल .. दोनों  के जीवन में प्यार का अंकुर फूट पड़ा था ….बस दोनों रोज रोज नये नये सपने बुनते रहते. दिन बीतते रहे लेकिन …..

विधि का प्यार ,उसका जीवन संगीत , तीन दिनों से मौन था, उसका फोन बंद था…. वह उसके कमरे तक भी गई  थी , वहां भी ताला मुंह चिढाता सा दिखाई पड़ा था . न ही आंखों में नींद थी और न ही भूख … बस थी तो तड़प अपने प्रेमी की बांहों में खो जाने की …. 

पापा ने पिघले शीशे सा अपना फैसला सुना दिया था … धवल मेंस नहीं निकाल पाया होगा , इसीलिये मुंह छिपा कर कहीं दूर चला गया होगा …. वह मन ही मन सोचने लगी थी , उसका धवल इतना कमजोर तो नहीं हो सकता…. वह उसकी यादों में खो गई … आंखें छलछला उठी थी … कुछ दिन बीते थे …

पापा  मां से कह रहे थे … आज शाम को रमेश जी अपने बेटे सोम के साथ आ रहे हैं , कोई तमाशा नहीं होना चाहिये … वह सिसक उठी थी … परंतु जब अपने प्यार से उसका   संपर्क ही नहीं हो पा रहा था तो वह मजबूर हो गई थी … सोम और उनकी मां सीमा जी तो उसके संगमरमरी रंग , कटीले नैन  नक्श और मॉडल जैसे छरहरे बदन और चंचल चितवन पर फिदा हो गये थे …मध्यवर्गीय विधि को उच्चवर्गीय सुंदर सलोना राजकुमार जैसा … आई टी पास …मुंबई में अपना फ्लैट  … चट मंगनी पट ब्याह … वह हनीमून के लिये काश्मीर  पहुंच गई थी परंतु चेहरा भावहीन निस्तेज …चेहरे पर विरक्ति एवं वेदना का भाव …निर्जीव पुतले की भांति वह मौन थी ….

तुम्हारा चेहरा बुझा बुझा सा क्यों है …  क्यों कि मैं किसी और को प्यार करती हूँ… प्यार किया नहीं जाता हो जाता है …. जैसे मुझे तुमसे पहली नजर में हो गया … आपको बुरा नहीं लगा … बुरा लगने की भला क्या बात है तुम अकेले थीं , आजाद थीं …. किसी से भी प्यार कर सकती थीं … वह सोचने लगी कि यह इंसान किस मिट्टी का बना है … न ही कोई क्रोध न ही आक्रोश …

वह धवल के खयालों में खोई रहती …सोम ने उससे दूरी बना ली थी … लगभग 6 महीने के बाद  एक दिन धवल का मेसेज देख वह खुशी से झूम उठी थी… वह उसके बताये  हुये  होटल में सज धज कर अपनी आंखों में ढेरों सपने सजा कर पहुंच गई …

धवल के चेहरे पर अभिजात्य वर्ग की आभा थी , ब्राण्डेड कपड़े उसके अफसर बनने की गवाही दे रहे थे …. विधि की आंखों के सूनेपन को देख वह परेशान हो उठा … गार्लिक ब्रेड ऐंड कोल्ड कॉफी….  वह मुस्कुरा उठी … आज भी धवल को उसकी पसंद याद है … विधि अपने पति के साथ खुश  तो  हो … नहीं धवल मैं तो निपट अकेली दोहरी जिंदगी जी रही हूँ….. तुम्हें भूल नहीं पा रही हूँ क्यों कि तुम मेरे रोम रोम में बसे हुये हो …. मैं अपनी तनहाइयों में तुम्हारे अक्स को ढूंढा करती हूँ … तुम अपनी बताओ … 

मैंने मेंस पास कर लिया लेकिन तुम्हारी शादी की खबर से डिप्रेशन में चला गया वहाँ  रिया मिल गई , उसने सहारा दिया … अब वह मेरा प्यार बन गई है …. और मैं अपने प्यार को धोखा नहीं दे सकता …

जब तुम अकेली थीं , तब तो तुम मेरे पास आ नहीं पाईं…ना ही कोई कदम उठा पाईं … अब जब कि तुम्हारा पति और उसका परिवार भी शामिल है …. उसके साथ खुशी से न जाना गलत है…

मुझे एक बात बताओ , तुम अपने माता पिता और पति को दुःखी करके क्या  खुश रह पाओगी ?

धवल का अपनी होने वाली पत्नी के प्रति प्यार और निष्ठा देख  कर  उसका दिल भर आया … 

आज धवल के चंद शब्दों ने उसे प्यार का एहसास और उसकी  गहराई को समझा दिया था…

वह  घर पहुंची और सोम को अपनी बाहों के घेरे  में जकड़ लिया था …इतने दिनों के बाद  पत्नी को पाकर सोम ने भी उस पर चुम्बनों की बौछार कर दी …

Shared by : पद्मा अग्रवाल

padmaagrawal33@gmail.com

                 

                        

Share
Related Articles
Dil se

पछतावा

“सुजय, तुम  इन कागजों पर अपने दस्तखत  कर देना …” “ये कैसे...

Dil se

नारी कभी ना हारी 

सिमरन 22 वर्ष की थी , गोल चेहरे पर बड़ी बड़ी काली...

Dil se

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के प्रेरक प्रसंग

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर उनके जीवन के कुछ...

Dil se

कृष्ण जन्माष्टमी 

‘ऊधो मोहि बृज बिसरत नाहिं ‘…यदि आपको भी बृजभूमि  का  ऐसा ही...

Dil se

धुंधलाती आंखें 

रात के 10 बजे थे मेघना बच्चों के कमरे में लेट कर...