एक प्रश्नचिन्ह सा जीवन मेंजिसका जवाब न पाती हूँमैं सबके बीच में रहती हूँफिर भी तन्हा रह जाती हूँ जीवन के पृष्ठ पलटती...
ना मात रहीं ना पिता रहे मन किससे मन की बात कहे ना वो दौर रहा ना वो ठौर रहा बस यादों में जज़्बात...