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Hindi poem

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Dil se

अपने खालीपन

अपने खालीपन को भरने औरतें भरती रहती हैं बरनियों में अचारपतियों से उपेक्षित होकर खोजती हैं -पुत्री और पुत्र में वही प्यार…अंदर से धधकती...

Dil se

मैं क़लमकार

कविताएँ कहानी मेरे शौक़मुझे मेरे किरदारों को जीने केअलावा कुछ नहीं आतामेरे किरदार मेरी कमाई हैंऔर उनकी भावनाएँमेरे बोनस और ग्रेजुएटीकभी कभी सोचती...

Dil se

चलो फिर लौट चलें

जी चाहता हे फिर पुराने वक़्त में चली जाऊँ फिर तुम से मिलने के बहाने सुझाऊँकोई पब्लिक बूथ से तुम्हें फ़ोन घूमाऊँ मिलने...

Dil se

मैं स्त्री हूं

          मैं स्त्री हूँ            जग की जननी हूँ            सृष्टिकर्ता हूँ             परंतु विडम्बना देखो….           अपनी ही रचना              ‘पुरुषों’  के हाथों               सदा से छली जाती रही...

Dil se

“दिल की बात”

हम तो स्वच्छ दर्पन हैं किसी से भी नहीं डरते डरें वो सौ मुखौटे जो  हैं अपनी जेब में भरते वादा कर मुकर...

Dil se

दशरथी अम्मा

आइये आज आप सबको अपनी “दशरथी”अम्मा से मिलवाते हैं…ये कई वर्षों से घर के पास रहती हैं और घरों में काम करने जाती...

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