अब हम पचपन पार हो गये हैं इसलिये चिंतित और परेशान है माथे पर लकीरें बन गईं हैं मन ही मन परेशान से...
रात के 10 बजे थे मेघना बच्चों के कमरे में लेट कर पत्रिकायें पलट रही थी , अचानक ही बर्तन गिरने कीटन्न की...