आमंत्रण
आइए श्रीमान फिर पीलीभीत शहर में,
कान्हा वाली बांसुरी भी
आपको बुलाती है।
हिरणों की कूदफाँदबाघ
भी लुभा रहे हैं,
खुशबू बाँसमती की
दुनिया को भाती है।
चूकना न आप ‘चूका”
बाइफर’ में आने को,
‘सात-झाल’ ‘साइफन’
वादियाँ बुलातीं हैं।देवहा, माला, शारदा
डैम की अनूप छटा,
उद्गम से आदि गंगा’
गोमती’ बुलातीं हैं।।—-
गौरी शंकर बाबा ने
आशीष भेजा है माता
यशवन्तरि नित ही आपको बुलातीं हैं।
सेल्हा बाबा सिद्धदेव
आशिष हैं बरसाते
वेणु सुता गूँगा देवि
सर्वदा बुलाती हैं।
।दुर्ग नृप मोरध्वज
बना है मरौरी बीच,
शोभा नदी नहरों की
अति सरसाती है।
सम्पूर्ण पूरनपुर
हैइंद्र थापे वन ‘बाबा’
त्रेता वाले त्रेतानाथ
लीला अति भाती है।।
सतीश मिश्र ‘अचूक'(कवि/पत्रकार)