मैं स्त्री हूँ जग की जननी हूँ सृष्टिकर्ता हूँ परंतु विडम्बना देखो…. अपनी ही रचना ‘पुरुषों’ के हाथों सदा से छली जाती रही हूँ मेरी अस्मिता से खेलता है रौंदता है…. मसलता है ….. अस्तित्व को नकार कर उस पर बलपूर्वक राज करना चाहता है मैं स्त्री हूँ जन्मते ही दोयम् बन जाती हूँ ‘बेटी […]