इन्सान बस खुशियो को खोज रहा है|
कल की आस मे आज को खो रहा है,
यह वक्त है जनाब बीतता जा रहा है
आज नही कल करूगा
बस यही दावा करता जा रहा है,
कल की आस मे ,आज को खो रहा है
यह वक्त है जनाब बीतता जा रहा है|
अरे, तुझ बिन भी यह दुनिया चलेगी
पर यह सोच कर हर काम कर रहा है
कि मेरे बिना फिर,कौन करेगा
बस इसी आस मे जीता जा रहा है
छोड दे तू यह सारे भृम
दूर कर तू सब के गम
खुश हो जा सब की खुशी मे,
फिर देख जीवन के रग
यह वक्त है जनाब बीतता जा रहा है
कल की आस मे आज को खो रहा है
आज तू ,हर पल को ,जी ले ,मान के
अपने अन्तिम पल
जो रूठा है उसे मना ले
जो मिला उसे,अपना ले
नही मिलना हूआ है,जिससे
मुलाकात का तु दौड बना ले
न जाने सासो कि डोर कब खीच कर टूट जायेगी
और यह तेरी सारी उम्मीदे माला के मोती की तरह भिखर जायेगी
कोमल नरूला