निर्भय , आज हम लोगों की शादी के पूरे 30 साल बीत गये . सब लोगों की नजरों में हम आइडियल कपल हैं. . लेकिन आज मुझे कह लेने दो ….
मैं हमेशा कहती ,“आज तक तुमने मुझे कभी ढंग का गिफ्ट नहीं दिया … डिनर के लिये होटल ले जाने का वादा किया . मैं तैयार होकर इंतजार करती रही थी .”
“तुम देर से थके हुये आये थे और डायनिंग टेबिल पर बैठ कर खाना माँगने लगे थे , मैंने गुस्से में सुबह के ठंडे परॉठे और दही रख दिया था . तुम ऐसे स्वाद से खा रहे थे जैसे खीर मोहन खा रहे हो ..”
मैं गुस्से से उबल रही थी कि तभी तुमने प्यार से बोला , “निया मैं कितना लकी हूँ जो तुम जैसी प्यारी पत्नी मिली हो .”
“.तुम बरसों बाद पहली बार मेरे लिये साड़ी लाये वह भी पुराने फैशन की , देखते ही मेरा मूड खराब हो गया था लेकिन तुम साड़ी मेरे ऊपर डाल कर प्यार से बोले थे ,” निया तुम्हारे ऊपर डल कर साड़ी की खूबसूरती कितनी बढ गई .”
“मैंने तुम्हें परेशान करने के लिये कमरे में जान बूझ कर पेपर बुक्स और कपड़े बर्तन बिखेर कर रख दिये थे कि तुम आज जरूर शिकायत करोगे लेकिन निर्भय तुमने आते ही पहले सब चीजों को करीने से उसकी जगह पर रखा फिर खाने के लिये बैठे “.
“मैंने कितनी बार शर्ट के बटन तोड़ कर रख दिये लेकिन मेरे प्रियतम , तुमने चुपचाप अपने से बटन लगा कर शर्ट पहन ली थी . “
मैंने कितनी बार बिना नमक की दाल , सब्जी तुम्हें दे दी लेकिन तुमने चुपचाप खा ली , बाद में प्यार से मेरे गालों को छूकर कहा , “आज शायद नमक डालना भूल गई हो , अपने में डाल लेना .”
मैं शर्म से पानी पानी हो गई थी .
“निर्भय मैं रोज इतनी शिकायतें करती रहती हूँ क्या तुम्हें मुझसे कोई भी शिकायत नहीं है ?.”
तुम बोले ,”प्यारी निया , तुमने मेरे और मेरे परिवार के लिये जो त्याग किया है , जो तुम्हारा मेरे प्रति प्यार और समर्पण है वह तुम्हारी सारी कमियों से कहीं ऊपर है . मेरी अनगिनत अक्षम्य भूलों के बाद भी तुमने जीवन के हर पलों में मेरी छाया बन कर साथ निभाया है , अपनी छाया में भला कोई दोष कैसे दिख सकता है”
“निर्भय ,तुम मेरे जीवन के लिये ऑक्सीजन की तरह मेरी प्राणवायु हो .”
Shared by : पद्मा अग्रवाल
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