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बालिकाओं के लिए शिक्षा के साथ-साथ जीवन कौशल कार्यक्रम जिसमें बालिकाएं जो अल्पसंख्यक समाज और मुस्लिम समाज से थी और जिनके अभिभावक उन्हें विद्यालय में भेजना भी पसंद नहीं करते थे ।बालिकाओं को मैंने अपने प्रयासों से विद्यालय में नामांकित तो कराया ही ,साथ ही साथ उन्हें सशक्त बनाया एवं आत्मनिर्भर बनाया ।

यह सफर लगभग 4 वर्षों से चल रहा है।

*पूर्व की स्थिति*

वर्ष 2017 में जब मैं विद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर पहुंची तो उस समय विद्यालय में मात्र 30 बालिकाएं नामांकित थी। लिलौन मुस्लिम बाहुल्य आबादी से भरा हुआ गांव है। जिसमें उन अभिभावकों में यह पूर्वाग्रह है की बालिकाओं को शिक्षा की आवश्यकता नहीं है। वे घर गृहस्ती के कामों में ही ठीक हैं ।बालिकाओं को विद्यालय में भेजना अभिभावक पसंद नहीं करते थे। न तो नामांकन कराते थे और यदि नामांकन भी था तो वह बालिका विद्यालय में नहीं आती थी ।अभिभावकों की यह सोच थी की लड़की को केवल कक्षा 5 तक पढ़ा कर घर बैठा लिया जाए उस गांव में स्कूल होते हुए भी वे अपनी बालिकाओं को स्कूल नहीं भेजते थे और जो बालिका स्कूल में आती भी थी उनमें किसी प्रकार का कोई उत्साह ,आत्मविश्वास नही था। मैंने वर्ष 2017 में प्रभारी प्रधानाध्यापिका के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया। मैंने कुछ प्रयासों के माध्यम से इन समस्याओं के निराकरण की सोची।

*मेरे प्रयास*

 

सबसे पहले मैंने गांव में घर घर जाकर अभिभावकों से संपर्क किया। गांव में विशेष स्थान पर नामांकन मेलों का आयोजन किया तथा विद्यालय की गतिविधियों एवं बालिका शिक्षा के महत्व से संबंधित गोष्ठियों का आयोजन किया। नामांकन मेलों में अभिभावकों से सीधा संपर्क किया और उन्हें प्रेरित किया कि वे बालिकाओं का नामांकन विद्यालय में कराएं। कक्षा 5 के बाद जो बालिकाएं पढ़ाई छोड़ घर बैठ गई थी उनका नामांकन किया। अभिभावकों का विश्वास जीतने के लिए उन्हें आश्वासन दिया गया की उनकी बालिकाओं का पूर्ण उत्तरदायित्व अध्यापिका का होगा। मैंने मुस्लिम समाज के कुछ लोगों से संपर्क किया तथा उन को माध्यम बनाकर गांव के लोगों को बालिका शिक्षा के लिए जागरूक किया।

बालिकाओं को विद्यालय में नामांकित करा कर उन्हें गतिविधि आधारित तथा स्वावलंबी बनाने की शिक्षा दी। विद्यालय में आने वाली बालिकाओं में आत्मविश्वास भरने के लिए उन्हें निर्देशन और परामर्श कार्यक्रम का भी आयोजन किया, जिसमें समाज सेवको ,पुलिस महिला अधिकारी ,उच्च शिक्षा की प्रोफेसर को आमंत्रित कर बच्चो का साहस बढ़ाया ।

बालिकाओं को स्वाबलंबी बनाने के लिए उन्हें उनकी आत्म शक्ति एहसास कराया गया। उनकी माताओं को स्कूल में आमंत्रित किया गया और बालिकाओं की छिपी प्रतिभाओं को अनेक गतिविधियों के द्वारा बाहर निकलने का प्रयास किया । बालिकाओं के द्वारा ही नुक्कड़ नाटक ,फिल्म के द्वारा नामांकन का प्रयास किया गया। वर्ष 2018 में इस प्रयास से बालिकाओं की संख्या विद्यालय में बड़ी और प्रतिवर्ष बढ़ती चली गई जिसका परिणाम यह है की वर्ण में बालको से अधिक बालिकाएं विद्यालय में पंजीकृत है तथा अधिक ऊर्जावान होकर कार्य करती है। विद्यालय के अच्छे कार्य प्रदर्शन के लिए तथा बालिकाओं के विचारों और उनकी रचनाओं को स्थान देने के लिए विद्यालय में *मासिक बाल अखबार “उड़ान नन्हे पंखों की “तथा वार्षिक पत्रिका” उजाला एक नई किरण का*” प्रकाशन किया इस पत्रिका और अखबार की अनेक प्रतियां छपवा कर पूरे गांव में बांटी गई बच्चों की गतिविधियों और विद्यालय के कार्यों को जन जन तक पहुंचाने के लिए विद्यालय का *फेसबुक पेज कन्या जूनियर हाई स्कूल लिलौन तथा यूट्यूब चैनल जे एच एस लिलौन के नाम से बनाया गया* जिसमें बालिकाओं के सभी कार्यों को सराहना मिली ।तथा जो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते थे उन्होंने अपने आस पड़ोस के बच्चों का नामांकन भी हमारे विद्यालय में कराया। बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ *जीवन कौशल की शिक्षा भी दी गई जीवन कौशल* कार्यक्रम के अंतर्गत उन्हें स्वावलंबी बनाने हेतु विद्यालय में ही सिलाई कढ़ाई बुनाई रंगाई आदि कार्य सिखाए गए तथा उनके मन से भय को समाप्त कर आत्मविश्वास को जगाया। बालिकाओं को मॉक ड्रिल के द्वारा जागरूक किया गया तथा आपदा प्रबंधन आदि कार्यों में पारंगत किया गया । बालिकाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाया गया विद्यालय में प्रतिदिन बच्चों के लिए योगा जूडो कराटे एवं आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी दिया गया आज हमारे विद्यालय की बालिकाएं जनपद और जनपद से बाहर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाती हैं। बालिकाओं की शिक्षा पर कार्य बालिकाओं को सशक्त बनाने तथा बालिका शिक्षा पर इतने प्रयास करने के कारण विद्यालय का चयन *यूनिसेफ के द्वारा फिल्म निर्माण के लिए किया गया तथा जीवन कौशल कार्यक्रम से संबंधित पूरी फिल्म को हमारे विद्यालय की गतिविधियों के द्वारा* ही बनाया गया तथा बालिकाओं को सशक्त करने एवं अधिक बालिका नामांकन होने से मुझे जनपद एवं राज्य स्तर पर भी सम्मानित किया गया।जिसमे राज्य सरकार द्वारा राज्य अध्यापक पुरस्कार भी प्रदान किया गया ।

उपमा शर्मा

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