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नई उम्मीदें

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भुला नहीं पाएंगे हम 20 और 21 साल को ,
डरे डरे सहमे सहमे, सब लोगों के व्यवहार को ।सड़के सूनी हो गई थी, मानो रेगिस्तान का मैदान हो, पर चिड़ियों की आवाज चहक-चहक कर आती थी ,
झरने की आवाज, गीत भी गुनगुनाती थी ।
घर बैठकर हमने आनंद भी खूब उठाया था। अंताक्षरी खेल, रामायण देख जब टीवी में सीरियल आया था l
पुराने जमाने का एहसास वह मन में पाया था।
पर प्रकृति से जो किया था खिलवाड़ खुद बना था तूने ए मानव यह अपना मायाजाल ।
फसकर उसमें क्यों पछता रहा है, ए मानव तू क्यों अब घबरा रहा हैl
थी उम्मीद, सन 2021 जो आएगा नई उम्मीदें ले आएगा पर सांसे इसमें भी बिक रही थी ऑक्सीजन के सिलेंडर पर टिक रही थी
कईयों ने थी जान गवाई,
मौत थी उनके घरों में मंडराई,
बस धीरे-धीरे सब ठीक हुआ था,
पर आगे ओमी क्रोन खड़ा हुआ था,
बचकर इससे भी हम दिखलाएंगे।
नई उम्मीदों और नई उमंगों के साथ हम नया साल मनाएंगे

— कोमल नरूला

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