“सुजय, तुम इन कागजों पर अपने दस्तखत कर देना …”
“ये कैसे कागज हैं ?”
“पढे लिखे हो , आराम से पढ कर साइन कर देना “
नीला अपने आंसू पोछते हुये कॉलेज के लिये निकल गई थी….सुजय ने कागजों को सरसरी निगाह से देखा तो तलाक के कागजात देख वह चौंक उठा था …. सुजय ने प्यार से बॆटी को अपनी बाहों में समेट लिया था. “नीला, तुम ऐसा क्यों कर रही हो “? वह बेटी के बिना कैसे रहेगा … यह सोच कर ही वह भावविह्वल हो उठा था … नीला इतना बड़ा कदम उठा लेगी, यह तो उसने सपने भी नहीं सोचा था … वह वहीं सोफे पर लेट गया तभी गुंजा की आवाज उसके कानों में पड़ी , “डियर आज मुझे पार्लर जाना है , अपना कार्ड मुझे दे दो ….” वह कसमसा उठा था परंतु उसको मना करने की उसकी हिम्मत ही नहीं थी … इश्क ने सचमुच उसे निकम्मा बना दिया है …उसे अपनी हालत पर तरस आ रहा था ….नीला जैसी सुलझी हुई पत्नी और प्यारी सी बेटी परी के होने पर भी उन्होंने अपनी गुंजा के प्यार में पड़ कर अपने जीवन की सुख शांति में अपने हाथों आग लगा ली ….वह मन ही मन नाराज होकर सोचने लगा ….. नीला तलाक लेकर अकेले रहेंगी तो आटे दाल का भाव पता चल जायेगा ,…और उसने उठ कर कागजात पर साइन कर दिया …
जब परी पैदा हुई थी, तो मदद करने के लिये नीला ने अपनी चचेरी बहन गुंजा को बुला लिया था । गुंजा शोख और कमसिन थी …जल्दी ही जीजा साली की छेड़ छाड़ अंतरंग रिश्तों में बदल गयी …एक रात जब किसी फुसफुसाहट से नीला की आंख खुल गई और बगल में पति को नहीं पाया तो वह परेशान हो उठी थी परंतु बात इतने आगे बढ चुकी है यह तो वह सपने में भी नहीं सोच सकती थी …..नीला के मन में शक तो हुआ था परंतु जब सुजय गुंजा को आगरा पहुंचा आये तो वह निश्चिंत होकर अपनी दुनिया में रम गई थी …. लेकिन उन दोनों के बीच खिचड़ी पकती रही …उनका इश्क परवान चढता रहा .
सुजय जब तब आगरा ऑफिस के काम के लिये कह कर जाया करते और एक दिन के कह कर जाते और 6-8 दिन रह कर आया करते…..और वहां से लौट कर आने के बाद वह बात बात में उसके साथ गाली गलौज और मार पीट पर उतर आता …. वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर सुजय को क्या हो गया है ?
फिर एक दिन गुंजा उनके घर आ धमकी थी और उसके सामने ही बोली , “सुजय ,तुम्हे मेरे साथ शादी करनी होगी “ वह उसी के घर के अंदर मालकिन की तरह रहने लगी .. उसने कई बार गुंजा तो समझाने की कोशिश की लेकिन सुजय तो गुंजा के इश्क में अंधी हो चुका था .
अब सुजय दो पाटों के बीच में पिसने लगा …. एक ओर नीला और प्यारी सी बेटी परी तो दूसरी ओर शोख , कमसिन ,तेजतर्रार गुंजा , जो डंके की चोट पर कहती …”उसे अपनी बदनामी का डर नहीं , यदि शादी नहीं करोगे तो अंतरंग क्षणों की फोटो वायरल कर दूंगीं “
नीला कॉलेज में लेक्चरर थी , वह घर छोड़ कर चली गई थी । कुछ दिनों के बाद सुजय ने गुंजा के साथ कोर्ट मैरिज कर ली ….
परंतु नीला की यादें उसके दिल दिमाग पर छाई रहती और बेटी परी के बिना उसे अपनी जिंदगी अधूरी लगती ….गुंजा सुजय को अपने इशारों पर नचाती और उनके पैसों पर ऐश करती ।
दिन बीतते रहे सुजय प्यार का नशा उतरता जा रहा था . अब मजबूरन उसे गुंजा के इशारे पर नाचना पड़ता . उसके पास कहने को कुछ नहीं रहता .
एक सुबह जब वह और गुंजा बॉलकनी में बैठ कर सुबह की चाय पी रहे थे. पेपर में नीला की फोटो देख कर उसकी निगाहें उस पर टिक गईं थीं ….वह पढने लगा उसकी पुस्तक “अवसर “को वर्ष की बेस्ट सेलर पुस्तक का पुरुस्कार मिला था ….उसने मंच से कहा था ,”मैंने अपने जीवन की आपदा को अवसर में बदल लिया …. यदि सुजय और गुंजा के प्यार को देख कर , तलाक न लेती और टूट कर हार मान लेती तो मेरे जीवन में यह अवसर कभी न आता ।“
सुजय , उठ कर तेजी से नीला को बधाई देने के लिये चल पड़ा था …. आज उसे अपने करनी पर पछतावा हो रहा था ।
Shared by : पद्मा अग्रवाल
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