“मेरे पिता से विरासत में मिला जंगल का ज्ञान और बाघ संरक्षण ने मुझे प्रकृति और शिक्षा का महत्व सिखाया है। मैं अपने समाज की लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल बनकर गर्व महसूस करती हूं।
WS: ऋषना, क्या आप हमें एक पारंपरिक शिकारी होने से लेकर प्रकृति गाइड और जंगल के संरक्षक बनने के लिए अपनी यात्रा के बारे में बता सकते हैं? इस परिवर्तन से क्या प्रेरित हुआ?
R: अपने बाप दादाओं के साथ जंगल में रहते हुए मैंने अपने जीवन के शुरुआती 5-6 साल बिताए। उस समय मुझमें उतनी समझ नही थी की शिकारी क्या होता है, शिकार क्या होता है पर हां मैंने अपने पिता को जंगल में जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हुए देखा था। जंगल में शिकारी बनके ही रहा जा सकता है। पर धीरे धीरे पिता जी को यह एहसास हुआ इस तरह और अधिक दिनों तक जंगल में नही रहा जा सकता । उनका जीवन तो बीत गया उनके बच्चों का जीवन क्या होगा? उनकी इसी सोच ने उनको जंगल से बाहर निकाला और किसी गांव और बस्ती के निकट आकर तंबू बनाकर रहने लगे। जब 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों को फिर से बसाया गया तब बाघों की सुरक्षा की दृष्टि से पन्ना के आस पास रहने वाली परम्परागत शिकारी जनजाति पारधी समाज की पुनर्स्थापना का प्रयास पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा किया गया ताकि उनके बाघ सुरक्षित रहें।
इसी योजना के तहत पारधी शिक्षा पर काम हुआ जिसके तहत पारधी बच्चों के लिए छात्रावास खोले। इसी छात्रावास में पढ़ कर मुझे लगा की हमारे पूर्वजों के वन और वन्य प्राणियों पर कितने अत्याचार किए मुझे इस बात की बहुत ग्लानि हुई। पर्यावरण हमारे लिए कितना जरूरी है। तभी से मैने तय कर लिया की मुझे अपने समाज को इस सम्बन्ध में जागरूक कर उन पर लगे इस कलंक को हटा कर वन एवं वन्य प्राणियों का संरक्षण करना है। तभी से मेरा जीवन परिवर्तित हो गया।
WS: ऋषना, आपके पिता बचपन से ही एक वन गाइड रहे हैं और उन्होंने आपको जंगल के तरीकों से पढ़ा है। क्या आप कुछ सबसे मूल्यवान सबक साझा कर सकते हैं जो उसने आपको सिखाया था और उन्होंने आज पर्यटकों को मार्गदर्शन करने के लिए आपके दृष्टिकोण को कैसे आकार दिया है?
R: जंगल का ज्ञान मुझे मेरे पिता से विरासत में मिला है। विभिन्न पेड़-पौधों की पहचान, पशु-पक्षियों की आवाजें, विभिन्न पद-चिन्ह पहचानना मुझे पिता ने ही सिखाया है , जंगल बहुत घूमी हूं उनके साथ। उनके द्वारा सिखाई गई ये बातें मुझे आज बहुत काम आ कर मेरा मार्गदर्शन कर रही है। धीरे-धीरे मैने उस ज्ञान को अध्ययन और अनुभव द्वारा विस्तृत कर लिया है।
WS: आपने उल्लेख किया है कि आप जानवरों के निशान, गंध और ध्वनियों की पहचान कर सकते हैं। क्या आप एक विशिष्ट उदाहरण का वर्णन कर सकते हैं जहां यह कौशल विशेष रूप से आपके काम में प्रकृति गाइड के रूप में महत्वपूर्ण था?
R: जी हां, मैं विभिन्न पक्षियों और जानवरों की आवाजों को पहचान सकती हूं । चूकि मेरा काम ही नेचर गाइड का है। कई बार ऐसा हुआ है कि सांभर की कॉल आ रही थी और कुछ देर रुकने के बाद पर्यटक को टाइगर के दर्शन हो गए। पशु पक्षियों की विभिन्न आवाजों और पद चिन्हों से भी जानवरों की उपस्थिति का अहसास पर्यटकों को कराया है।
WS: एक शिकारी की जीवन शैली से वन्यजीवों के रक्षक के लिए अपने संक्रमण के दौरान आपके सामने आने वाली कुछ सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से कुछ क्या है? आपने उन्हें कैसे दूर किया?
R: पारधी समाज एक शिकारी जीवन शैली वाला समाज है और मैं भी उसी समाज से आती हूं जिस वजह से मुझे भी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भले ही आज मेरे समाज ने शिकार करना बिल्कुल छोड़ दिया है पर आज भी उन्हें शिकारी समझा जाता है। अपराध कही भी हो पकड़ा पारधी समाज को ही जाता है। उन्हें कहीं काम नहीं मिलता। परंतु मैंने अपने कामों से उन्हें जवाब दे दिया है। लोग मेरा अब विश्वास भी करने लगे है। लोगों का विश्वास जमने में अभी थोड़ा वक्त और लगेगा।
WS: आप और आपकी बहन दोनों नेचर गाइड हैं। इस भूमिका में एक साथ काम करने से आपके बंधन को कैसे मजबूत किया गया है, और आप प्रत्येक को टेबल पर लाते हैं?
R: मेरी बहन अब इस दुनिया में नहीं है, पिछले साल मार्च-2023 में उसकी एक दुर्घटना में मौत हो गई है। एक फील्ड में होने की वजह से मैं और मेरी बहन एक अच्छी दोस्त बन गई थी। हम दोनों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा थी। पर ईश्वर को यह मंजूर नहीं था।
WS: पारडी समुदाय की एक महिला के रूप में, आप युवा लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल होने के बारे में कैसा महसूस करते हैं, खासकर अपने समुदाय के भीतर? आप उनके साथ क्या संदेश साझा करना चाहेंगे?
R: मैं अपने समाज की लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल हूं जिसका मुझे गर्व है। समाज में भी मुझे इज्जत मिलती है। मैं चाहती हूं कि मैं कुछ ऐसा करूं जिससे न केवल मेरा समाज बल्कि सभी समाज के लोग मुझ पर गर्व करें। मेरे समाज की जो लड़कियां मेरे जैसा बनना चाहती है उनके लिए मैं दो बातें कहूंगी एक तो वो पढ़ाई करें दूसरा वो अपने पर्यावरण से प्यार करें।
WS: आपको लगता है कि आपके समुदाय के लिए स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए सरकार और गैर सरकारी संगठनों से क्या अतिरिक्त समर्थन की आवश्यकता है?
R: हां, मुझे लगता है कि हमारे समुदाय को स्थाई आजीविका सुनिश्चित करने के लिए सरकार और गैर सरकारी संगठन दोनों को ही आगे आना चाहिए क्योंकि हमारा समाज अन्य समाजों से काफी पिछड़ा हुआ है जिसमे सुधार के लिए लंबा वक्त लगेगा। यहां शिक्षा की कमी है। इनके पास कोई दस्तावेज भी नहीं है। दस्तावेजों के अभाव में इन्हें कोई शासकीय मदद भी नहीं मिल पाती। यदि वास्तव में हमारे समाज का जीवन स्तर सुधारना है जो कई संगठनों को आगे आकर हमारे समाज की मदद करनी होगी।
Team WS