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पति पत्नी के रिश्ते में मजबूती लाने के लिये प्रयास आवश्यक हैं

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शादी सात जन्मों  का बंधन  है … जोड़ियाँ ऊपर से बन कर आती हैं …वर्तमान समय में ये कहावतें अर्थहीन होती जा रही हैं क्यों कि दिन प्रति दिन तलाक और ब्रेक अप की खबरें हमारे आस पास सुनाई पड़ती रहतीं हैं . रिश्तों में कड़वाहट या दूरियाँ आते ही आपस में गलतफहमियाँ जड़ जमाने  लगती हैं और आपसी संवाद कम होने लगता है तो स्थिति बिगड़ते देर नहीं लगती है .

   किसी भी रिश्ते में मजबूती लाने के लिये दोनों तरफ का प्रयास जरूरी होता है . जिंदगी भर का साथ निभाने का वादा करने के बावजूद रोजमर्रा के झगड़े , मनमुटाव धीरे धीरे रिश्तें को कमजोर कर देते हैं . कई बार छोटी छोटी बातें बड़ी बन जाती हैं और रिश्ता  टूटने की कगार पर आ जाता है .

सबसे आवश्यक बात है कि एक दूसरे पर भरोसा  और विश्वास रखें. एक दूसरे के साथ दोस्ती वाला व्यवहार. बनाने का प्रयास करें. पति या पत्नी दोनों आपस में कंफर्टेबिल अनुभव करें . पत्नी को भी स्पेस मिले जिससे वह अपनी बात कहने में हिचके नहीं.. नीला के बॉस उसे अक्सर देर शाम तक रोकते फिर वह अपनी गाड़ी में उसे ड्रॉप करने के लिये कहते . उसे बॉस की यह बात नागवार लगती ,

 उसने पति रवीश से कहा तो उन्होंने कहा,  यदि तुम्हें ठीक नहीं लगता तो साफ साफ मना कर दो . वैसे तुम मुझे रिंग कर देना ,  मैं पिक करने आ जाया करूँगा . तुम्हारे बॉस समझदार होंगें तो तुरंत समझ जायेंगें . यदि नीला पति से इस बात को छिपाने का प्रयास करती तो संभव था कि पति रवीश के मन में शक का बीज पनप कर रिश्तों में दूरियाँ पैदा कर देता . 

पति पत्नी के खुशहाल रिश्ते में आपस में सम्मान की भावना रखना जरूरी होता है . एक दूसरे के प्रति इज्जत का  भाव रहने से आपसी मनमुटाव अपने आप समय से दूर हो जाता है .

कई बार देखा जाता है कि पति पत्नी एक दूसरे की समस्या सुनना समझना ही नहीं चाहते . ऋषि के ऑफिस में छटनी चल रही थी ,उसके मन में हर समय नौकरी जाने का खौफ  छाया हुआ था . इधर पत्नी अंजली अपनी शॉपिंग और पॉर्लर ,  किटी की दुनिया में मस्त थीं .  ऋषि ने कई बार अपनी समस्या इशारों इशारों में बताई लेकिन उन्हें इन बातों से कोई मतलब ही नहीं था … जब नौकरी चली गई तो अंजली ने रोना धोना और झगड़ा शुरू कर  दिया . ऐसी स्थिति में रिश्ते में दरार आना स्वाभाविक ही है . इसलिये ये जरूरी है कि एक दूसरे की शारीरिक , आर्थिक या मानसिक परेशानी को सुनो समझो  और महसूस करके उसके समाधान का प्रयास करें तभी रिश्ते  बने रह सकते हैं .

पति पत्नी दोनों ही एक दूसरे की कमियों को देखने के बजाय उनकी कोशिशों पर गौर कीजिये . हर समय दोष देने की बजाय उसे समझने का प्रयास कीजिये.

 आपके सकारात्मक कदम रिश्तों को बेहतर और और अच्छे पार्टनर बन कर रिश्तों  में निखार ला देंगें . 

 आशा निराशा , हार जीत तो जीवन की दिनचर्या का आवश्यक हिस्सा है . उसके लिये किसी व्यक्ति विशेष को दोष देना समझदारी नहीं है . रिलेशनशिप कोच इला जैन कहती हैं कि आपस में ब्लेमगेम खेलने से रिश्तें खराब होंगें . इसलिये साथी के प्रयास को सराहें , संभव है कि वह अगले प्रयास में  सफल हो जाये . उसे बेहतर करने के लिये आप प्रेरित करें . 

हम सभी अपने बचपन से सुनते आये हैं कि पति बाहर के काम करते हैं और पत्नी घर के अंदर का.. परंतु आज के समय में सब सीमायें टूट चुकी हैं . आजकल पति पत्नी दोनों ही बाहर काम करते हैं तो पति का कर्तव्य बनता है कि पत्नी के घरेलू कामों में मदद करे . जब पति पत्नी साथ में मिल कर काम करते हैं तो दोनों के संबंध में प्रगाढता आती है . निष्ठा और विशेष दोनों ही आईटी कंपनी में कार्यरत हैं . विशेष अक्सर पत्नी से पहले आ जाते हैं और  निष्ठा जब घर आती है तो पति के हाथ की चाय पीकर उसकी थकावट छूमंतर हो जाती है और फिर दोनों मिल कर डिनर बनाते हैं . 

इला जैन कहती हैं कि अब वह समय नहीं है कि आप यह कह कर पल्ला झाड़ लें कि यह मेरा काम नहीं है .. जब पत्नी घर चलाने में सहयोग कर रही है तो आपसी तालमेल के साथ एक दूसरे का हाथ बँटा कर रिश्ते में मजबूती ला सकते हैं . 

कई बार हम ऐसे शख्स के साथ रिश्ते में होते हैं जिसकी नजर केवल साथी की कमियों पर ही लगी रहती है और वह मौके बेमौके आपकी कमियों पर नजर टिकाये रखता हो और कमेंट करता रहता हो ,तो रिश्ता निभाना मुश्किल हो जाता है . यदि आपके साथी में कोई कमी या व्यवहार में खामी है तो आपको यदि उससे परेशानी है तो सही मौके पर सही तरीके से उसे उसकी कमी से अवगत करायें , यह भी ध्यान रखें कि आपके अंदर भी कई कमियाँ होंगीं जिसे आपका साथी नजरअंदाज करके आपके साथ निभा रहा है इसलिये आप भी उसकी कमियों को नजरंदाज करने की आदत डालिये . रश्मि को पढने लिखने का शौक था, उसके कमरे में  पेपर और मैग्जिन बिखरी रहतीं … पति अखिल जब  ऑफिस से आते तो चारों तरफ बिखरी किताबें देख कर उनका मूड ऑफ हो जाता , वह बहुत बार रश्मि को  किताबें समेट कर रखने को कहते लेकिन आदत से लाचार वह एक कान से सुनती दूसरे से निकाल देती .. उसकी इस आदत के कारण कई बार आपस में कहासुनी भी हो जाती थी . आखिर में अखिल ने आते  ही सबसे पहले बिखरी किताबों को समेट कर रखना शुरू कर दिया तो रश्मि ने पति के आने से पहले ही समेट कर रखना शुरू कर दिया . इस तरह से धैर्य से रिश्तों में मजबूती लाई जा सकती है . 

 यदि आपका साथी ओवर वेट हो रहा है तो आप उसके साथ वॉक पर जाना शुरू करें या एक्सपर्ट डायटीशियन की सलाह से आप स्वयं भी साथी के साथ अपने खाने पर भी कंट्रोल करें . आप अपने फैसले अपने साथी पर मत थोपें , संभव है कि वह आपकी बात आपके दबाव में मान लेता हो परंतु रिश्तों में यह कड़वाहट पैदा कर सकता है . आपको अपने साथी की भावनाओं का भी ख्याल रखना होगा .

अपने साथी के सपनों को पूरा करने में सहयोग करें . मीना को लेखन का शौक था .. वह कहानी और लेख लिखतीं पति मिहिर उसको कोरियर करते , उनके लिये कॉपी पेन आदि सबका ख्याल रखते , आज मीना जी पति के सहयोग  के कारण प्रतिष्ठित लेखिका बन कर  लेखन जगत में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं.

   मनोरोग विशेषज्ञ उन्नति कुमार का कहना है कि जब  हम पार्टनर चुनते हैं , उस समय तो हम केवल दो   ही  लोग हुआ करते हैं परंतु सच्चाई यह है  कि रिश्ते निभाने में ससुराल , दोनों के दोस्त और कैरियर  जैसे अनेक पहलू होते हैं , जिन्हें अक्सर नजरअंदाज  किया जाता है . यदि इन सबके साथ सामंजस्य नहीं बैठ रहा तो आपसी रिश्ते में खुशी नहीं मिल सकती . इसलिये सिर्फ अपने बारे में ही न सोचे वरन् अपने साथी की प्राथमिकताओं को  भी इज्जत दें .

हर व्यक्ति के मन में अपने साथी के लिये अनेक सपने और ख्वाहिशें होती हैं कि वह ऐसा हो … वैसा हो … वह उसकी सारी अकांक्षाओं पर खरा उतरे … और जब वह आपकी आशाओं तो पूरा नहीं कर पाता तो आप उसको बदलने की कोशिश न करना शुरू कर दें वरन् वह जैसा है वैसा ही  उसे स्वीकार करें . आपको यह ध्यान रखना जरूरी है कि आप उसकी खुशियों का ख्याल रखें  . पति या पत्नी कितना सहज है ,दूसरों के सामने  उसके मान और इज्जत का ध्यान रखना जरूरी है . शादी शुदा रिश्तों में कई बार पति पत्नी एक दूसरे की फैमिली को ज्यादा पसंद नहीं करते लेकिन आपसी रिश्तों को ठीक रखने के लिये परिवार के लोगों के साथ संबंध बना कर रखना जरूरी हो जाता है . 

शादी शुदा कपल्स ज्यादा तर आपसी रिश्तों  इमोथशन्स जाहिर करना बंद कर देते हैं और मशीनी सी जिंदगी जीने लगते हैं तो रिश्तों में बासीपन आ जाता है इसलिये कभी डिनर तो कभी कोई ट्रिप जरूर प्लान करते रहना चाहिये ताकि आपसी रिश्तों में ऊष्णता बनी रहे 

जब कभी आपस में बहस हो जाये तो ध्यान रखैं एक दूसरे को अपशब्द या दिल दुखाने वाली बात न कहें अपनी भाषा पर कंट्रोल रखें . कहावत है कि तलवार का जख्म भर जाता है लेकिन जुबान से निकले शब्दों का घाव कभी नहीं भरता .

यदि आपकी गलती है तो माफी  मांगने में संकोच न करें .जब क्रोध आ रहा है , कोशिश करें कि मन शांत हो जाने के बाद ही बात चीत करके  मामले को सुलझायें . 

य़दि इन प्रयासों से भी सामंजस्य नहीं हो पाता तो ऐसा रिश्ता खुशी नहीं दे सकता , इसलिये केवल अपने बारे में ही न सोचें वरन् अपने साथी की प्राथमिकताओं को भी इज्जत दें . दूसरों के सामने उसके मान इज्जत का ध्यान रखना होगा .अच्छा रिश्ता तभी हो सकता है जब निराशा या असफलता के पलों में एक दूसरे के आत्मविश्वास और खुद पर भरोसा बढाने में सहयोग करे . 

Shared by : पद्मा अग्रवाल

padmaagrawal33@gmail.com

                 

                        

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