Home Dil se JASHN -A – AAZADI
Dil se

JASHN -A – AAZADI

Share
Share

जश्न ए आजादी

कुछ पंक्तियां उनको समर्पित जिन्होंने

आजादी के समय पार्टीशन देखा

पन्ने पलटू या रहने दूं

कहो, तो सोती रुह को जगा दूं

स्वतंत्र हैं हम खुश हो लूं

या, अनचाहा इतिहास दोहरा दूं

मानवता के एक मंथन को

फिर से आज तोहरा दो

लकीर की क्या बात करें

तकदीर ही बदल दी

मां के आंचल से छीन

दो पुत्रों को अलग उसने कर दी

जलता चूल्हा छोड़ दूं

या मवेशी का बंधन खोल दूं

कहां समय था सोच लूं

कुछ गिन्नीया ही बटोर लूं

मानवता के एक मंथन को

फिर से आज दोहरा दूं

गुलामी की जंजीरों में भी

अजब सी इंसानियत थी

आक्रमण झेले हमने पर

अलग नहीं हुए

एक फैसला जाने किसका

एक रात में बदल दिया

जहां आंखों में कटी थी सदियां

उसने सदियों की जुदाई दिया

स्वतंत्र हैं हम खुश हो लो या अनचाहा इतिहास दोहरा दूं

बिछड़ते वक़्त का आंसू

ताह उम्र बहुत रुलाता है

सन्नाटे गूंजते हैं दूर

जैसे कोई पुकारता है

नज़दीकियां होते हुए भी

फासलों में कैद हैं

कितनी आजादी से हमने

मन भी मेला कर लिया

मानवता के एक मंथन को

फिर से आज तोहरा तू

जितने कटे थे, सब लाल थे दूर तक फैले सन्नाटे थे

इतिहास के पन्ने ना पलट, वह आज भी लहू से गिले हैं

जिनके बिछड़े थे अपने

वह आज तक नहीं सोए

आज भी कुछ आहत दिल

छुप छुप के लहू रोते हैं

स्वतंत्र हैं हम खुश हो लूं

यह अनचाहा इतिहास दोहरा दूं

मानवता के एक मंथन को

फिर से आज तोहरा दूं

पन्ने पलटू या रहने दूं

कहो तो सोती रुक को जगा दूं

तनुजा मेहंदीरत्ता

कतर

By Tanuja

Share
Related Articles
Dil se

कृष्ण जन्माष्टमी 

‘ऊधो मोहि बृज बिसरत नाहिं ‘…यदि आपको भी बृजभूमि  का  ऐसा ही...

Dil se

 पति पत्नी के रिश्ते  में मजबूती लाने के लिये प्रयास आवश्यक हैं 

शादी सात जन्मों  का बंधन  है … जोड़ियाँ ऊपर से बन कर...

Dil se

मुक्त

थोडी थोड़ी आजाद हो गई हूँ  मैं  थोड़ी थोड़ी जिम्मेदारियों से आजाद...

Dil se

निर्णय

शिवि मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी । वह अपने बॉस रुद्र...

Dil se

 महिलायें और अवसाद 

अवसाद आज एक विश्व्यापी समस्या है . ताजा अध्ययन कहता है कि...

Ajanta Hospital TEX