हम तो स्वच्छ दर्पन हैं
किसी से भी नहीं डरते
डरें वो सौ मुखौटे जो
हैं अपनी जेब में भरते
वादा कर मुकर जाना
नहीं फ़ितरत हमारी है
हम तो वो दीवाने हैं
जो कहते हैं वही करते
किसी का हक़ नहीं मारा
नहीं की बेवफ़ाई है
बचाया झूठ से दामन
साफ़गोई से हैं रहते
सुख दुःख में हैं सम रहते
शिक़ायत हम नहीं करते
छुपाए लाख ग़म दिल में
नुमायश हम नहीं करते
प्रश्नपत्रों को जीवन के
ख़ुद ही हल किया करते
बाँटते फूलों की ख़ुशबू
नहीं कांटों सा हैं चुभते
जो हम ठान लेते हैं
वही हम कर गुज़रते हैं
जा ए जिंदगी तुझसे
ज़रा भी हम नहीं डरते
सत्य के साथ हैं जीते
क़दम पीछे न हैं हटते
है अपना दिल खरा सोना
मिलावट हम नहीं करते
दीवाने मातृभूमि के हैं
उसी पे जीते हैं मरते
भारत माँ की हैं बेटी
उसी के दिल में हैं बसते
अंधेरों में भी हैं रोशन
जुगनुओं सा हैं चमकते
मिटा ना पायेगा कोई
प्रभु का नाम हैं भजते
–नीरजा शुक्ला ‘नीरू‘