वह लड़की

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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के एक नंबर प्लेट फार्म पर 25 वर्षीय हैण्डसम आरव अपनी ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहा था । सर्दी अपने शबाब पर थी , शाम के 7 बजे थे परंतु कुहासे और ठंड के कारण प्लेटफॉर्म  पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ था … कोहरे के कारण ट्रेन एक – एक घंटा करके लेट होती जा रही थी लेकिन चूंकि वह एक इंटरव्यू के लिये जा रहा था इसलिये वह दीन दुनिया से बेखबर अपने लैपटॉप  पर नजरे गड़ाये हुये अपने इंटरव्यू की तैयारी में लगा हुआ था ।

उसी समय एक 19 – 20 वर्ष की खूबसूरत स्मार्ट सी लड़की , जो नीली जींस और लाल स्वेटर में बहुत आकर्षक दिखाई दे रही थी , वह तेजी से उसकी तरफ आई और उसके बगल में बैठ गई …वह शराफत से थोड़ा सा खिसक कर अपने में सिमट गया और लड़की से दूरी बना कर लैपटॉप पर पढने की कोशिश करने लगा था …    तभी वह खनकती हुई आवाज में बोली ,” हेलो … यार तुम तो मुझे पहचान भी नहीं रहे हो … तुम मुझे भला कैसे भूल सकते हो ….क्या नाम था तुम्हारा एकदम जुबान पर नहीं आ रहा है ?ऐसे टुकुर टुकुर क्या देख रहे हो .. उसके पैरों पर अपना हाथ मार कर वह  गहरी नजरों से उसकी ओर देख रही थी । 

वह सकपकाया सा   बोला , ‘ आरव ‘

“ अरे हां याद नहीं , मैं लंच के पहले ही  रोज तुम्हारा टिफिन चट  कर जाती थी ….”

वह अपनी याददाश्त  पर जोर डाल कर उसे पहचानने की कोशिश कर रहा था , लेकिन बहुत प्रयास करने पर भी न तो उसकी शक्ल याद आ रही थी और न ही उसका नाम …. परंतु एक सुंदर लड़की की बेतकल्लुफ बातों  के आनंद से वह वंचित नहीं होना चाह रहा थ़ा … इसलिये वह चुपचाप केवल ,उसे मंत्रमुग्ध सा उसे निहार  रहा  था । 

उसने आवेश में उसका हाथ पकड़ लिया था , तुम्हें मिस. ज्वेल ने इसी हाथ पर ही थो कितनी जोर की स्टिक मारी थी ….

वह पुनः अपनी याददाश्त खंगाल कर मिस. ज्वेल , उस लड़की का चेहरा ,और स्टिक की मार … कुछ भी याद नहीं कर  रहा था ।…

कुछ याद आया कि नहीं , अपुन  मिसेज  विलियम के पीरियड में कितना मजा करते थे … जब हम दोनों पीछे की बेंच पर बैठ कर कभी समोसा तो कभी अमरूद खाया करते थे …

मिसेज विलियम बीच बीच में स्टिक मेज पर पटक कर कहतीं ,” कीप क्वायट…”

“अच्छा ये बताओ कि आंटी मुझे कभी याद करती  कि नहीं ?”

“उनके बनाये आलू के पराठे का स्वाद तो मैं कभी भूल ही नहीं सकती , कितने टेस्टी बनाती थीं …मैं पूरा चट कर जाती थी , तुम चिल्लाते ही रह जाते थे “

मैं उसकी जिंदादिली देख कर मंत्रमुग्ध होकर उसकी ओर दोस्ती का हाथ बढाना चाह ही रहा था कि अचानक धड़ धड़ करती हुई ट्रेन प्लेटफार्म पर आकर  खड़ी हो गई , वह कुछ समझ पाता , इसके पहले ही वह खड़ी हो गई थी और वह फुसफुसा कर कुछ लड़कों की ओर इशारा करके बोली , “ एक्सक्यूज मी , मेरे पीछे ये तीन चार शोहदे पड़े  हुये  थे , उनसे बचने के लिये मैंने यह ड्रामा किया था  … आपसे बात करते देख वह शोहदे ठिठक कर खड़े हो गये  थे ….

“एक्सक्यूज मी अगेन …बाय सी यू ….” कहती हुई वह डब्बे के अंदर चली गई ….

उसकी आंखों के सामने से ट्रेन धड़ धड़ कर चली गई थी लेकिन वह सुंदर स्मार्ट लड़की की नीली जींस और लाल स्वेटर की याद आज भी ताजा है । 

एक अमिट याद …काश उस दिन उसका नाम या फोन नंबर पूछ लेता …

आज भी जब कभी किसी प्लेटफार्म पर वह किसी ट्रेन का इंतजार करते हैं तो उनकी निगाहें उस लड़की को तलाशने लगती हैं ।

पद्मा अग्रवाल

 

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