Home Dil se वृद्धाश्रम
Dil se

वृद्धाश्रम

Share
Share

डॉ. अर्जुन जब से कानपुर देहात के जिला अस्पताल में CMO बन कर आये हैं , उनका सामाजिक दायरा भी
बढ गया है . चूंकि वह सरकारी पद पर कार्यरत थे इसलिये वह लोगों से उनके प्रायवेट कार्यक्रमों से
अधिकांशतः हाथ जोड़ कर माफी मांग लेते थे लेकिन फिर भी किन्हीं कार्यक्रमों में मना करते करते भी
जाना उनके लिये मजबूरी बन जाता है .
ऐसे ही वृद्धाश्रम के वार्षिक समारोह में वह मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे , जैसा कि
अन्य समारोह में होता है दीप प्रज्जवलित करना , माल्यार्पण , सम्मानपत्र के बाद मुख्य अतिथि के दो शब्द
“…बेटे कभी भी मां बाप के ऋण से उऋण नहीं हो सकते इसलिये यह फर्ज बनता है कि वह अपने मां बाप
की सेवा करें ….समाज के लिये वह बेटे एक बदनुमा दाग हैं जो अपने मां बाप को वृद्धाश्रम में छोड़ कर खुद
ऐश की जिंदगी जीते हैं ….” इन शब्दों को बोलते बोलते वह फफक कर रो पड़े ….. उनकी आंखों से झर झर
कर आंसू बह निकले थे …. वहां बैठे लोग उनकी जय जयकार करने लगे थे ….लेकिन उनके कान में तो अपने
पिता के स्वर गूंज रहे थे , “बेटवा , तुम्हारे बिना हम लोग यहां कैसे जिंदा रह पायेंगें ‘”
यहां से हजारों मील दूर वह हर पल वृद्धाश्रम में उनकी बाट जोह रहे हैं . उनकी आंखों से अविरल
अश्रुधारा प्रवाहित हो रही थी .

पद्मा अग्रवाल

Share
Related Articles
Dil se

चैत्र नवरात्रि

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना...

Dil se

 गूंज

शिशिर , यहां आओ … देखो आज का दिन कितना सुंदर है...

Dil se

रिश्ता

जीवन के कोरे पन्नों पे कुछ तुम लिख दो कुछ हम लिख...

Dil se

अंतस की बात

एक प्रश्नचिन्ह सा जीवन मेंजिसका जवाब न पाती हूँमैं सबके बीच में...

Dil se

गार्गी

This book is based on अदम्य, अटूट अस्तित्व A true book on...

Ajanta Hospital TEX