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अकेले हैं तो क्या गम है

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68 वर्षीय कुसुमजी बहुत चुस्तदुरुस्त एक्टिव महिला थीं परंतु अचानक  पति के बिछोह ने मानों उनकी दुनिया ही उजाड़ दी . बेटा अमेरिका ले जाने को तैयार था परंतु वहाँ की लाइफ स्टाइल वह देख चुकी थीं . वह दुनिया से कट कर उदास,  बीमार …जीवन के सभी रंगों से मुँह मोड़ कर जिंदा लाश बन कर रह गईं थीं . तभी गाँव से देवर का बेटा मिलने आया और जबर्दस्ती करके अपने साथ गाँव ले गया . पहले खेत बटाई पर रहते थे. अब उन्होंने मजदूर रख कर धान बुआय़ा , कभी खेत में दवा डलवाना तो कभी घर की  मरम्मत करवाना . गाँव ने सब गम भुला दिये .

75 वर्षीय सावित्री आंटी ने अपने जन्मदिन पर होटल में एक पार्टी रखी थी . नये पुराने  सभी परिचितों को इनवाइट किया .  उनके बच्चे भी मेहमानों तरह आये थे.  उन्होंने केक काटा जिस पर 75 लिखा था . संगीत की धुन पर  उन्होंने गीत सुनाया .  उन्होंने बताया कि वह एक संस्था जो  गरीब , बेसहारा बुजुर्गों की मदद का काम  करती है उससे जुड़कर   अनुभव हुआ कि सच में उनका गम बहुत थोड़ा है . हँसती बोलती आंटी जी को देख कर लगा कि वह कितना बड़ा सबक सिखा रही हैं कि अपने लिये भी जीना चाहिये .

चानक दुनिया से विदा हो जाने पर छोटे शहर के  65 वर्षीय निर्मल जी जीवन में अँधेरा छा गया . दो किशोर बेटे थे ,  वह भी दिव्यांग …हर दिन एक नई मुश्किल…. किसी तरह कुछ दिन गुजरे तभी किसी रिश्तेदार ने एक विधवा जिनके पास अपनी  10 वर्ष की बेटी थी , उसके साथ विवाह का प्रस्ताव रखा , तो पहले तो कुछ दिनों तक वह  उहापोह में रहे  ,  फिर एक दूसरे ने आपस में अपनी – अपनी मुश्किलें साझा कीं . जल्द ही  दोनों ने मंदिर में माला पहना कर शादी कर ली . रिश्तेदारों ने बहुत मजाक बनाया , संबंध तोड़ लिये लेकिन वह अपने  फैसले पर अडिग रहे . आज सब उनके फैसले की तारीफ करते नहीं थकते. अब वह खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं .

अकेलेपन से जूझ रहे 60 वर्षीय प्रकाश जी में गाँव में रहते हुय़े बच्चों की पुरानी किताबों को एकत्र करना शुरू कर दिया . जल्दी ही उनके घर ने लाइब्रेरी का रूप ले लिया . उनका घर बच्चों की आवाजाही गुलजार हो उठा.

अकेले हैं तो गम भुलाने के बहुत रास्ते हैं ……व्यस्त रहिये मस्त रहिये ….

पद्मा अग्रवाल

Padmaagrawal33@gmail.com

   

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