हम सभी अपने बचपन से सुनते आ रहे हैं कि हमारा शरीर मिट्टी का पुतला है और अंत में मिट्टी में मिल
जाना है . गम आज चाहे इस बात की गंभीरता को न समझें और इस कथन को मात्र जुमलेबाजी कह कर
मजाक बनायें परंतु सच्चाई यह है कि हमारे पूर्वजों को पृथ्वी के महत्व से अवश्य परिचित थे . और अपनेनइस
कथन के द्वारा हम सबको इसके महत्व को समझाना चाहते थे . आज शहरीकरण और विकास के नाम पर
हम प्रकृति का अधाधुंध दोहन कर रहे हैं .
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हर मिनट में दस फुटहॉल के मैदान के बराबर जंगल काटे जा रहे हैं , यह संयुक्तराष्ट्र की रिपोर्ट है . एक
करोड़ हेक्टेयर से अधिक जंगल हर साल दुनिया भर में काटे जा रहे हैं
1..देश में दूषित हवा का स्तर कम करने के लुये हर मेड़ पर पेड़ की योजना के तहत 149करोड़ से 94हजार
हेक्टेयर में पेड़ लगाये गये हैं .
- 30 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक कचरा दुनिया भर में हर साल पैदा होता है .
- वर्ष 2016 से 2021 के बीच 808 नर्सरी तैयार की गई हैं .
- भारत में हर वर्ष औसतन34 लाख टन प्लास्टिक कचरे का उत्सर्जन करता है .
यदि वनों की कटाई नहूं रोकी गई तो वैश्विक स्तर पर तापमान को 2 डिग्री बढने से नहीं रोका जा सकता .
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पद्माा अग्रवाल