शब्द…

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ये शब्द बड़े बलवान
ये शब्द बड़े नादान
ये शब्द हैं क्रांति भी,
ये शब्द हैं भ्रान्ति भी
ये शब्द हैं रणभेरी भी
ये शब्द हैं शांति भी
ये शब्द..
कुछ अहसास
कुछ परिहास
कभी सोचे समझे
कभी अनायास
ये शब्द हैं आज
ये शब्द रचे इतिहास
ये शब्द हैं इंकलाब
ये बवंडर, ये सैलाब
ये आग, ये आब
ये सुकून, ये ताप
ये दुआ, ये शाप
ये शब्द..
कभी प्यार से निकले
कभी बस यूँ ही फिसले
कुछ तीर, कुछ तलवार
कुछ आग, कुछ अंगार
कुछ चाशनी में लिपटे
कुछ मक्खन से मुलायम
कुछ ठंडी फुहार
कुछ बुद्धि भ्रामक
कुछ ज्ञान का भंडार
ये शब्द..
इकरार, इंकार
कभी दबे कुचले
कभी ललकार
कभी सवाल, कभी बवाल
कभी कमाल, कभी भौकाल
धीरे धीरे फुसफुसाते
बड़बड़ाते, बुदबुदाते
जाने कब कब, कहाँ कहाँ
और कैसे कैसे पहुंचे
बड़ी ही मतवाली
इन शब्दों की चाल
ये शब्द…
कभी मीरा के भजन
कभी मीर की शायरी
कभी रहीम के दोहे
कभी कबीर की कारीगरी
कभी राजगुरु-सुखदेव के नारे
कभी सरदार भगत की डायरी
कभी गीता का रहस्य
कभी शकुंतला की अदायगी
ये वेद, ये उपनिषद,
ये पाणिनी की अष्टाध्यायी
ये चरक की चिकित्सा
ये सुश्रुत की सहिंता

ये शब्द…
न तुम रहोगे, न हम
रह जाएंगे हमारे शब्द
जो कहे गए, जो लिखे गए
हमारी पहचान है हमारे शब्द
हम कैसे याद आएंगे ज़माने को
जाने कब बाद
ये निश्चित करेंगे हमारे शब्द





By: Prachi Shikha

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