Cover Pic Credit:https://www.google.com/imgres हे रघुनन्दन ! दशरथ नन्दन, करबद्ध , तुम्हें शत शत वन्दन । हे दिव्य रूप! सन्ताप हरो सबके आँचल में हर्ष भरो मस्तक पर धार्य मुकुट, चन्दन, हे रघुनन्दन! दशरथ नन्दन…, करबद्ध , तुम्हें शत शत वन्दन । वन गमन तुम्हारा अति पावन, जो था आज्ञा का अनुपालन, तिस पर रोया कानन- […]